मानव तस्करी राज्य में सबसे गंभीर समस्या : राज्यपाल
ओडिशा ही नहीं अन्य राज्यों में भी आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चे मानव तस्करी का शिकार हो रहे हैं।
भुवनेश्वर, जेएनएन। ओडिशा ही नहीं पूरे देश में मानव तस्करी सबसे गंभीर समस्या बन गई है। ओडिशा से अन्य राज्यों में काफी संख्या में मानव तस्करी हो रही है। हर दिन शिशु श्रमिकों को अन्य राज्यों में प्रताड़ित होना पर रहा है। यह स्वस्थ समाज के लिए ठीक नहीं है। स्वस्थ समाज बनाने के लिए मानव तस्करी को रोकना बहुत जरूरी है।
बुधवार को पुलिस भवन में आयोजित मानव तस्करी संबंधित राज्य स्तरीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल ने अपने संबोधन में यह बात कही। राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) डॉ. राजेंद्र प्रसाद शर्मा ने कहा कि गरीब तथा आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चे मानव तस्करी का शिकार हो रहे हैं। इस पर लगाम लगाने के लिए ऑपरेशन स्माइल जैसे कार्यक्रम पुलिस चला रही है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि 2015-17 के बीच तीन साल में राज्य में मानव तस्करी संबंधित 254 मामले दर्ज किए गए। इस दौरान 254 महिला, 321 पुरुष, 210 नाबालिग लड़के व 217 नाबालिग लड़कियों को उद्धार कर 216 पुरुष एवं 44 महिला को गिरफ्तार किया गया है। मिशन शक्ति एवं महिला व शिशु विकास विभाग की निदेशिक सुजाता आर काíतकेयन ने कहा कि रोजगार के अभाव के कारण महिलाएं अन्य राज्यों में जा रही है। मिशन शक्ति के जरिए अनेक महिलाओं को रोजगार दिया जा रहा है।
नाबालिग, शिशु एवं महिलाएं राज्य के बाहर जाने के बाद कई तरह की तकलीफों का सामना कर रही है। ऐसे में प्रत्येक जिला में मौजूद शिशु सुरक्षा यूनिट एवं शिशु सुरक्षा कमेटी को इस दिशा में गंभीरता के साथ काम करना चाहिए। इस अवसर पर ओडिशा पुलिस एवं एक एनजीओ द्वारा तैयार की गई एक मैनुअल पुस्तक विक्टिम सेंट्रिक इंवेस्टीगेशन का अतिथियों ने विमोचन किया। मानव कल्याण पर क्राइमब्रांच एवं संबलपुर विश्वविद्यालय द्वारा अनुसंधान की गई रिपोर्ट को भी प्रकाशित किया गया है।
कार्यक्रम में मानव तस्करी क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए पुलिस अधिकारियों को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने महिला एवं शिशु विकास विभाग तथा पुलिस के बीच समन्वय बनाए रखने, आरोप आने पर सही ढंग से उसकी जांच करने, दोषियों को सजा दिलाने की व्यवस्था करने, उद्धार किए गए बच्चों के पुनर्वास एवं मानव तस्करी के मूल कारण का अनुध्यान कर पहले से ही कदम उठाने पर वक्ताओं ने जोर दिया।