मिसाइलें बनी देश की ताकत
लावा पाण्डे, बालेश्वर : पूरा विश्व एक तरफ जहां आज अपनी देश की सुरक्षा के लिए अपने सैन्य ताकत
लावा पाण्डे, बालेश्वर :
पूरा विश्व एक तरफ जहां आज अपनी देश की सुरक्षा के लिए अपने सैन्य ताकतों का इजाफा कर है वहीं अपना देश भी इससे पीछे नहीं है। सूबे के बालेश्वर जिला अंतर्गत मुख्यत: मिसाइलों के परीक्षण के लिए दो केंद्र हैं। पहला चांदीपुर एवं दूसरा अब्दुल कलाम द्वीप (व्हीलर द्वीप)। भारत ने अपनी रक्षा ताकतों का इजाफा करते हुए आए दिन किसी न किसी मिसाइलों का परीक्षण इन दोनों स्थानों से करता है। मिसाइल के जनक रहे भारत रत्न डॉ. एपीजी अब्दुल कलाम का घनिष्ठ संबंध यहां से रहा है। डॉ. कलाम को मिसाइलों का जनक माना जाता है। भारत ने अग्नि श्रंखला की पांच मिसाइल का परीक्षण किया। जो सभी परमाणु हथियार ले जाने में तो सक्षम हैं। ये मिसाइल 900 किमी. से लेकर 5000 किमी. तक मार करने की ताकत रखती हैं। इसमें अग्नि-1 एकमात्र ठोस ईधन आधारित मिसाइल है। देश में ही निíमत यह मिसाइल 15 मीटर लंबी, एक मीटर चौड़ी तथा 12 टन वजन की यह मिसाइल 1000 किग्रा. तक पारंपरिक और परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम है। अग्नि-दो मिसाइल इसकी मारक क्षमता दो हजार किमी. तक है। 21 मीटर लंबी, एक मीटर चौड़ी और 17 टन वजन की यह मिसाइल 2000 किमी. तक मार करने की ताकत रखती है। अग्नि-तीन मिसाइल 3500 किमी. से अधिक दूरी पर जिस किसी भी लक्ष्य को भेदने की क्षमता रखती है। 17 मीटर लंबी, दो मीटर चौड़ी व 50 टन वजन की यह मिसाइल है। अग्नि-चार मिसाइल 20 मीटर लंबी, 17 टन वजन तथा 1 हजार किग्रा. वजन तक विस्फोटक ले जाने में सक्षम यह मिसाइल 3500 किमी. से ज्यादा दूरी तक प्रहार कर सकती है। अग्नि-पांच मिसाइल 17.5 मीटर लंबी, दो मीटर चौड़ी, 50 टन वजन की यह मिसाइल एक हजार किग्रा. विस्फोटक ढ़ोने की क्षमता रखती है और पांच हजार किमी. तक मार कर सकती है।
उसी तरह अन्य मिसाइलों में ब्रह्मोस, धनुष, पृथ्वी-एक व दो, मिसाइलों का समय पर परीक्षण कर भारत ने अपनी रक्षा ताकतों में खूब इजाफा किया है।