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51.9 फीसद जनता ने EU के विरोध में किया वोट, कैमरन बने रहेंगे पीएम

यूरोपीय संघ (ईयू) की सदस्यता को लेकर किए गए इस जनमत के नतीजों के अनुसार ब्रिटेन ईयू से बाहर हो गया है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 23 Jun 2016 10:29 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2016 01:02 PM (IST)
51.9 फीसद जनता  ने EU के विरोध में किया वोट, कैमरन बने रहेंगे पीएम

लंदन, रायटर/एएनआई। यूरोपीय युनियन से अलग होने के लिए जनमत संग्ह का अंतिम परिणाम घोषित हो चुका है। 51.9(17410742) फीसद से ज्यादा ब्रिटेन के नागरिकों को यूरोपीय युनियन से बाहर होने का फैसला किया है। जबकि संघ के रहने के पक्ष में यानी रीमेन में 48.1(16141241) फीसद ने वोट किया।

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जनमत संग्रह में चार करोड़ से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया था। जिसमें 12 लाख भारतीय मूल के लोग शामिल थे।जनमत संग्रह के फैसले के बाद इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि ब्रिटिश पीएम कैमरन इस्तीफा दे देंगे।लेकिन विदेश मंत्री ने इस तरह के कयासों को निराधार बताया। कैमरन ने कहा कि ब्रिटेन यूरोपीय युनियन के बाहर भी बेहतर कर सकता है। ब्रिटिश जनता के फैसले का वो सम्मान करते हैं। हमें अब ब्रिटेन की बेहतरी के लिए और काम करने की जरुरत है। ब्रिटेन के अगले पीएम यूरोपीय युनियन के साथ नए संबंधों की शुरुआत करेंगे।

पढ़ें- जानें, EU से ब्रिटेन के अलग होने पर भारतीय अर्थव्यवस्था पर कितना होगा असर

इससे पहले कल हुए चुनाव में ब्रिटेन में लोगों ने इस जनमत संग्रह में रिकार्ड भागीदारी की। ब्रिटेन के कई इलाकों में खराब मौसम के बावजूद लोगों में मतदान को लेकर खासा उत्साह दिखा। भारी बारिश से कई इलाकों में सड़कें जलमग्न होने और यातायात बाधित होने के बाद भी लोग मताधिकार का प्रयोग करने पहुंचे। दो मतदान केंद्र बंद करने पड़े। मौसम विभाग ने कई इलाकों में बाढ़ का अलर्ट जारी किया है। लंदन में भूमिगत रेल सेवा पर भी इसका असर देखने को मिला।

प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने पत्नी सामंता के साथ वोट डालने के बाद ब्रिमेन (ब्रिटेन का ईयू में बने रहना) के समर्थन में ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए ईयू में बने रहने के पक्ष में मतदान करें। लंदन के पूर्व मेयर बोरिस जॉनसन ने ट्वीट कर लोगों से ब्रेक्जिट (ब्रिटेन का ईयू से बाहर जाना) का समर्थन करने और देश की स्वतंत्रता का जश्न मनाने की अपील की। ब्रेक्जिट पर मुहर लगने की सूरत में माना जा रहा है कि जॉनसन देश के अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं।

जानिए, क्या है ब्रिमेन

ब्रिटेन का यूरोपीय संघ में बने रहना ही 'ब्रिमेन' कहलाता है। बताया जा रहा है कि अब तक जो सर्वे अाया है उसमें जनमत संग्रह में 51 फीसद लोग ब्रिमेन के पक्ष में मतदान किया है।

जानिए, क्या है ब्रेक्जिट

ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से बाहर जाना 'ब्रेक्जिट' कहलाता है।

पढ़ें- ब्रिटेन के यूरोपीय यूनियन से अलग होने की वजह कहीं मुसलमान तो नहीं ?

ज्यादातर भारतीय चाहते हैं ईयू में बना रहे ब्रिटेन

यूरोपीय संघ (ईयू) की सदस्यता को लेकर ब्रिटेन में गुरुवार को हुए ऐतिहासिक जनमत संग्रह में करीब 12 लाख भारतीय मूल के मतदाताओं ने भागीदारी की। माना जा रहा है कि इस समुदाय के वोट का बड़ा हिस्सा ब्रेक्जिट के समर्थन में पड़ा है। हालिया चुनावी अध्ययन के मुताबिक 51.7 फीसद भारतवंशी मतदाता चाहते हैं कि ब्रिटेन ईयू में बना रहे। वहीं, 27.74 फीसद भारतवंशी इसके विरोध में हैं।

इस मसले पर समुदाय के बीच का मतभेद भी साफ दिख रहा है। प्रीति पटेल जैसी कैबिनेट मंत्री और इंफोसिस के प्रमुख नारायण मूर्ति के दामाद रिषि सुनाक जैसी शख्सियत ब्रेक्जिट के पक्ष में हैं। वहीं, सांसद कीथ वाज, वीरेंद्र शर्मा ब्रिमेन का समर्थन कर रहे हैं। अध्ययन के दौरान 16.85 फीसद मतदाताओं ने यह तय नहीं किया था कि वे किसके पक्ष में मतदान करेंगे। कांटे की टक्कर में ये मतदाता नतीजों पर प्रभाव डाल सकते हैं।

अध्ययन के मुताबिक भारत के अलावा अन्य दक्षिण एशियाई देशों से ताल्लुक रखने वाले ज्यादातर ब्रिटिश भी चाहते हैं कि ब्रिटेन ईयू से बाहर नहीं निकले। पाक मूल के 56 और बांग्लादेशी मूल के 42 फीसद मतदाताओं ने ब्रिमेन का समर्थन किया। वहीं ब्रेक्जिट के पक्ष में 26 फीसद पाक मूल के और 17 फीसद बांग्लादेशी मूल के मतदाता है।

एमआई5 की साजिश

ब्रिटिश खुफिया एजेंसी एमआई5 की गुरुवार को सोशल मीडिया में चर्चा में रही। जनमत संग्रह के नतीजों को ब्रिमेन के पक्ष में प्रभावित करने की एजेंसी द्वारा साजिश रची जाने की अफवाह उड़ने के बाद ब्रेक्जिट समर्थकों ने लोगों से मतदान केंद्र में अपना कलम साथ लेकर जाने की अपील की। चुनाव आयोग ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि मतदाताओं के कलम लेकर आने से उसे कोई आपत्ति नहीं है। पारंपरिक तौर पर बैलेट पर निशान लगाने के लिए मतदान केंद्र पर कलम या पेंसिल चुनाव आयोग उपलब्ध कराता रहा है। अफवाहों के मुताबिक एमआई5 ने मतगणना से पहले ब्रेक्जिट समर्थकों का निशान बैलेट पेपर से मिटाने की योजना बनाई थी ताकि इन मतों की गिनती नहीं हो पाए।

सदस्यता पर दूसरा जनमत संग्रह

ब्रिटेन के इतिहास का यह तीसरा और ईयू की सदस्यता को लेकर दूसरा जनमत संग्रह है। इससे पहले 1975 में हुए जनमत संग्रह में लोगों ने ईयू में बने रहने के पक्ष में वोट दिया था। उस समय इस समूह का नाम यूरोपियन इकोनॉमिक कम्युनिटी था। एक जनवरी 1973 को ब्रिटेन इसका सदस्य बना था। इस समूह की शुरुआत 1957 में छह यूरोपीय देशों के बीच रोम संधि से हुई थी। ईयू का मौजूदा स्वरूप 1993 में अस्तित्व में आया था। इसके अलावा एक और जनमत संग्रह सितंबर 2014 में स्कॉटलैंड के ब्रिटेन का हिस्सा बने रहने को लेकर किया गया था।

सट्टा बाजार का रिकॉर्ड टूटा

इस ऐतिहासिक जनमत संग्रह ने ब्रिटेन के सट्टा बाजार का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है। नतीजों को लेकर 10 करोड़ पौंड (करीब एक हजार करोड़ रुपये) दांव पर लगे हैं। सटोरियों के अनुसार नतीजे ब्रिमेन के पक्ष में आने के 82 फीसद संभावना है। पिछले सप्ताह सट्टा बाजार ने इसकी संभावना 76 फीसद बताई थी।

वैश्विक मंदी का खतरा

ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में नहीं रहने पर भारतीय कूटनीति पर क्या असर पड़ेगा इस बारे में विदेश मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि डिप्लोमेसी के तौर पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि ईयू का सदस्य होने के बावजूद ब्रिटेन के साथ भारत के द्विपक्षीय रिश्ते अपने हिसाब से आगे बढ़ रहे थे। हां, ब्रिटेन अगर ईयू का सदस्य बना रहता है तो हो सकता है कि आगे कुछ वर्षों बाद इनके बीच द्विपक्षीय रिश्ते ईयू व भारत के आधार पर तय हो। लेकिन यह स्थिति अभी तक नहीं है।

हां, ब्रिटेन के अलग होने से वैश्विक मंदी के और गहराने की आशंका जताई जा रही है क्योंकि ब्रिटेन के कुल निर्यात का आधा यूरोपीय यूनियन को ही होता है। अगर ऐसा होता है तो जाहिर है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था का हिस्सा होने की वजह से भारत पर भी असर पड़ेगा। यह भी देखना होगा कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच विशेष द्विपक्षीय व्यापार समझौते (मुक्त व्यापार समझौते जैसा) को लेकर जो बात चल रही है उसका भविष्य क्या होगा। ब्रिटेन पहले ही भारत के साथ अलग मुक्त व्यापार समझौता करने की ख्वाहिश जता चुका है। यह सब बातें भविष्य के गर्भ में हैं।

शेयर व मुद्रा बाजार संशय में

कई अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थागत अपनी रिपोर्ट में यह चेतावनी दे चुकी हैं कि ब्रिटेन के बाहर होने से वैश्विक मंदी ज्यादा लंबी खिंच सकती है। खासतौर पर यूरोपीय देशों की मंदी ज्यादा गहरा सकती है। जानकार इसे 2008 की वैश्विक मंदी के बाद सबसे बड़े वित्तीय घटनाक्रम के तौर पर देख रहे हैं। इससे वैश्विक बाजार में अस्थिरता फैलने का भी खतरा है। शेयर बाजार से पैसा निकालने की होड़ शुरू हो सकती है। कोटक सिक्यूरिटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट दीपेन शाह का कहना है कि आने वाले दिनों में शेयर व मुद्रा बाजार पर ब्रिटेन में जनमत संग्र्रह का काफी असर पड़ेगा। खास तौर पर इससे मुद्रा बाजार में काफी अस्थिरता फैलने के आसार हैं।

मैकलाइ फाइनेंशियल के सीईओ जमाल मैकलाई भी मानते हैं कि भारत के सामने बड़ी चुनौती मुद्रा बाजार की अस्थिरता ला सकती है। यूरो और ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग की अस्थिरता से डॉलर पर भी असर पड़ेगा। ऐसे में भारतीय रुपये में और कमजोरी आने की आशंका है। माना जाता है कि इस तरह की स्थिति देश में होने वाले निवेश पर भी असर डालेगा।


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