राष्ट्रपति ने कहा, मतभिन्नता के बगैर संसदीय प्रणाली बेमतलब
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मतभिन्नता को लोकतंत्र की विशेषता बताते हुए कहा कि इसके बगैर संसदीय प्रणाली का कोई मतलब नहीं है।
आकलैंड, प्रेट्र। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मतभिन्नता को लोकतंत्र की विशेषता बताया है। उन्होंने कहा है कि मतभिन्नता के बगैर संसदीय प्रणाली का कोई मतलब नहीं है। राष्ट्रपति ने इस बात को रेखांकित किया कि अर्थव्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर फैसला लेने में सदन के भीतर जोरदार बहस और चर्चा का भी योगदान है।
राष्ट्रपति ने रविवार को भारत-न्यूजीलैंड बिजनेस काउंसिल में कारोबार जगत के प्रमुखों को संबोधित किया। भारत सरकार द्वारा लांच किए गए विभिन्न कार्यक्रमों में योगदान देने के लिए मुखर्जी ने न्यूजीलैंड के कारोबारियों को भारत आने का न्योता दिया।
उन्होंने कहा, 'हमारे सांसद भारतीय संसद की वास्तविक स्वरूप का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये सांसद विभिन्न क्षेत्रों और विभिन्न राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इससे हमारी बहुदलीय लोकतांत्रिक प्रणाली की असली तस्वीर सामने आती है।'
संसद की कार्यप्रणाली को स्पष्ट करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, 'जोरदार बहस और चर्चा के बाद हम संसद में फैसला लेते हैं। यदि तर्क-वितर्क, बहस और चर्चा चल रही हो तो मतभिन्नता संसदीय प्रणाली का अनिवार्य घटक होता है और मतभिन्नता के बिना संसदीय प्रणाली बेकार है। संसद वास्तव में दो विशेषताओं मतभिन्नता और चर्चा का प्रतिनिधित्व करती है।'
भारत में आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए जिम्मेवार विभिन्न कारकों को रेखांकित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि जीडीपी के रूप में 1990 के दिनों से ही देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से विकास जारी है। उन्होंने कहा कि जीडीपी के अलावा रोजगार सृजन, मुद्रा स्फीति पर नियंत्रण, व्यापार संतुलन और महंगाई दर में पर्याप्त कमी भी अर्थव्यवस्था के विकास के प्रमाण हैं।