अफगान नागरिकों को भारी पड़ रही तालिबान से जंग
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी टाडामिची यामामोटो ने रिपोर्ट में बताया कि आइएस ने 2016 में अफगानिस्तान में 122 लोगों की जान ली है, जबकि पिछले साल यह संख्या 13 थी।
काबुल, रायटर। अफगानिस्तान में तालिबान से जंग आम नागरिकों को भारी पड़ रही है। इस साल के पहले छह महीनों में 1,601 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 3,565 लोग घायल हुए हैं। पिछले वर्ष की तुलना में 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
संयुक्त राष्ट्र की सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह रहस्योद्घाटन हुआ है। मरने वालों और घायलों में 60 फीसद आम नागरिक हैं। रिपोर्ट में शनिवार को आइएस हमले में मारे गए 80 लोग शामिल नहीं हैं। अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी टाडामिची यामामोटो ने रिपोर्ट में बताया कि आइएस ने 2016 में अफगानिस्तान में 122 लोगों की जान ली है, जबकि पिछले साल यह संख्या 13 थी। सरकार की नाकामी के कारण और भारी विस्फोटकों के कारण यह संख्या बढ़ी है।
अफगानिस्तानी सेना भी जिम्मेदारअफगानिस्तान की सेना 22 फीसद मौतों के लिए जिम्मेदार है, अंतरराष्ट्रीय सैनिकों की वजह से दो प्रतिशत मौत हुई हैं। 17 फीसद के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। 2016 में अफगान वायु सेना के हवाई हमलों में नागरिकों के मरने की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई है। इन हमलों में 111 लोग मारे गए हैं, इनमें 85 महिलाएं और बच्चे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने रिहाइशी इलाकों में हवाई हमले तुरंत रोकने को कहा है।
छह महीने में लड़ाई के दौरान 1500 से ज्यादा बच्चे या तो मारे गए या फिर घायल हुए। 2014 में अंतरराष्ट्रीय सैनिकों की वापसी के बाद आक्रामक तालिबान रिहाइशी इलाकों में हमलों की धमकी दे रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने जांच में पाया कि जमीन पर हताहतों की संख्या 38 फीसद है। 20 फीसद लोग आत्मघाती हमलों के शिकार हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय बलों ने 2014 के अंत में अपने मिशन को समाप्त कर दिया था। अमेरिकी लड़ाकू विमानों के कारण 38 लोग मारे गए थे और 12 घायल हो गए थे।
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