‘पाक के हाथों में अमेरिकी खून, रद हो MNNA स्टेटस’: अमेरिकी सांसद
प्रधानमंत्री के अमेरिकी दौरे के मात्र दो दिन पहले अमेरिका में पाक विरोधी विधेयक का प्रस्ताव रखते हुए दो वरिष्ठ सांसदों ने पाक से बड़े गैर मित्र सहयोग का दर्जा रद करने की अपील की है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। अमेरिका के दो वरिष्ठ सांसदों ने पाकिस्तान से नॉन नाटो सहयोग व एमएनएनए स्टेटस वापस लेने की अपील करते हुए विधेयक पेश किया। उल्लेखनीय है कि इस रविवार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा शुरू हो रही है। अमेरिका के दो शीर्ष सांसदों ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन करने का आरोप लगाते हुए ट्रंप प्रशासन से उसे मिलने वाली सैन्य सहायता में कटौती का आग्रह किया। सांसदों ने कहा कि इस्लामाबाद को अमेरिकी हथियारों को हासिल करना मुश्किल कर देना चाहिए।
पाक से खत्म हो संबंध
रिपब्लिकन टेड पो व डेमोक्रेट रिक नोलन ने शुक्रवार को एक विधेयक पेश किया जिसके तहत पाकिस्तान की बड़े गैर नाटो मित्र देश सहयोग (एमएनएनए) को रद्द करने और पाकिस्तान से संबंध तोड़ने की मांग की गयी है। साथ ही यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान में आतंकियों को पनाह दी जाती है। यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका पहुंचने और राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत के मात्र दो दिन पहले आया है।
अमेरिकी खून से रंगे हैं पाक के हाथ
पो ने कहा, ‘पाकिस्तान के हाथों में अमेरिकी खून लगा है और इसलिए उसे दोषी माना जाना चाहिए। ओसामा बिन लादेन को पनाह देने से लेकर तालिबान को समर्थन देकर उसने आतंकियों के साथ मिले होने का सबूत दिया है। हमें पाकिस्तान से अपना संबंध खत्म कर लेना चाहिए और हथियारों का निर्यात बंद कर देना चाहिए।
2004 में पाक को मिला एमएनएनए दर्जा
2004 में तत्कालीन राष्ट्रपति जार्ज बुश ने तालिबान और अल कायदा के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की मदद हासिल करने के लिए उसे एमएनएनए का दर्जा दिया था। एमएनएनए का दर्जा काफी मायने रखता है क्योंकि इससे विदेश सहायता और रक्षा सहयोग जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण लाभ हासिल होते हैं। एक एमएनएनए राष्ट्र को प्राथमिकता के आधार पर रक्षा सामग्री, हथियारों की बिक्री तथा अमेरिकी ऋण आदि प्रदान किए जाते हैं । इसके तहत हथियारों की खरीद के लिए धन मुहैया कराने के मकसद से निजी बैंकों द्वारा बैकअप ऋण जारी किए जाते हैं।
आतंकियों से मिला हुआ है पाक
वहीं नोलन ने कहा पाकिस्तान ने अमेरिका की अच्छाई का समय समय पर फायदा उठाया है और यह बताया है कि वे अमेरिका के मित्र और सहयोगी नहीं हैं। हकीकत यह है कि पिछले 15 सालों में हमने पाकिस्तान को काफी आर्थिक मदद की है लेकिन उसने आतंकवाद को खत्म करने व हमारी सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया। अब समय आ गया है कि हम इस सच को स्वीकार करें कि पाकिस्तान जिन आतंकियों से लड़ने का दावा करता है, वह उनके साथ है।
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