सीरिया पर एक राय बनाने में विफल रही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, रूस का वीटो
रूस ने सुरक्षा परिषद में अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल किया और सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के लिए ढाल की तरह खड़ा हो गया।
संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र । सीरिया में हुए रासायनिक हमले की अंतरराष्ट्रीय जांच में रूस ने अड़ंगा डाल दिया है। हमले की निंदा करने और सीरियाई सरकार को इस घटना की जांच में सहयोग के लिए कहने वाले प्रस्ताव को उसने वीटो के इस्तेमाल से रोक दिया है। चार अप्रैल को सीरिया के इदलिब प्रांत के खान शेखहुन में हुए हमले में करीब सौ लोग मारे गए थे।
हमले के बाद फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मसौदा प्रस्ताव पेश किया था। बुधवार को इस पर मतदान हुआ। 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के 10 सदस्यों ने पक्ष में मतदान किया। स्थायी सदस्य चीन और अस्थायी सदस्य इथोपिया व कजाखिस्तान मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे। स्थायी सदस्य होने के कारण रूस के पास वीटो की ताकत है और उसने इसका इस्तेमाल कर प्रस्ताव को रोक दिया। अस्थायी सदस्य बोलीविया ने भी रूस का साथ देते हुए प्रस्ताव का विरोध किया।
प्रस्ताव के खारिज होने के बाद संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने कहा कि इस वीटो के जरिये रूस ने जवाबदेही को 'ना' कहा दिया है। सीरिया में शांति को बढ़ावा देने में मददगार संयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र जांच में सहयोग को ना कह दिया है। उसने एक बार फिर असद के साथ रहने का विकल्प चुना है, वह भी ऐसी स्थिति में जब अरब जगत समेत पूरी दुनिया उसके निर्दयी प्रशासन की निंदा करने के लिए एक साथ खड़ी है।
सीरिया में छह साल से जारी गृहयुद्ध के बीच यह आठवां मौका है जब वीटो के जरिए रूस ने सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार के खिलाफ प्रस्ताव को रोका है। उसने कहा है बिना जांच के ही सीरियाई सरकार को हमले के लिए जिम्मेदार ठहराना उसके प्रति पूर्वाग्रह को दिखाता है। गौरतलब है कि इस हमले के बाद से रूस और अमेरिका आमने-सामने हैं। अमेरिका ने हमले के बाद सीरियाई एयरबेस पर मिसाइल हमला करते हुए रूस से असद सरकार से दूरी बनाने को कहा था। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस मांग को ठुकरा चुके हैं। उनका कहना है कि असद को अकेला छोड़ने का मतलब होगा आतंकियों को खुला छोड़ देना।
चीन ने चौंकाया
सुरक्षा परिषद में मतदान के दौरान अनुपस्थित रहकर चीन ने चौंका दिया है। पूर्व में सीरिया पर लाए गए प्रस्ताव के दौरान वह रूस के साथ खड़ा रहता था। उसके ताजा फैसले की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रशंसा करते हुए सकारात्मक कदम बताया है। उन्होंने कहा, मतदान के दौरान चीन का अनुपस्थित रहना अनूठा फैसला है। बेहद कम लोग इसकी उम्मीद कर रहे थे। हालांकि मैं आश्चर्यचकित नहीं हूं। उल्लेखनीय है कि सीरियाई एयरबेस पर मिसाइल हमले का आदेश ट्रंप ने अपने चीनी समकक्ष ची शिनफिंग की मेजबानी करते हुए ही दी थी।
प्रस्ताव में क्या?
-चार अप्रैल को सीरियाई सेना के हवाई अभियान की विस्तृत जानकारी मांगी गई थी।
-उस पायलट का नाम बताने को कहा गया था जो खान शेखहुन में हमला करने वाले विमान को उड़ा रहा था।
-उस सैन्य एयरपोर्ट तक जाने की अनुमति मांगी गई थी जहां से विमान ने खान शेखहुन में हमले के लिए उड़ान भरी थी।
-रासायनिक हथियारों के निषेध के लिए काम करने वाले संयुक्त राष्ट्र संगठन के प्रतिनिधियों को सीरियाई जनरलों और नेताओं से मुलाकात की इजाजत देने को कहा गया था।
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