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विश्व में सवा अरब लोग करते हैं रोजाना 75 रुपये में गुजारा

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून ने कहा है कि हर दिन 1.2 अरब से ज्यादा लोग 1.25 डॉलर (करीब 75 रुपये) से कम राशि में अपना जीवनयापन करते हैं जबकि 2.4 अरब लोग ऐसे हैं जो रोजाना दो डॉलर (करीब 120 रुपये) में जिंदगी गुजारते हैं। अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस के अवसर पर बान ने कहा कि 1990 से 2010 के बीच कम स

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Sat, 18 Oct 2014 09:23 PM (IST)Updated: Sat, 18 Oct 2014 09:23 PM (IST)
विश्व में सवा अरब लोग करते हैं रोजाना 75 रुपये में गुजारा

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून ने कहा है कि हर दिन 1.2 अरब से ज्यादा लोग 1.25 डॉलर (करीब 75 रुपये) से कम राशि में अपना जीवनयापन करते हैं जबकि 2.4 अरब लोग ऐसे हैं जो रोजाना दो डॉलर (करीब 120 रुपये) में जिंदगी गुजारते हैं।

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अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस के अवसर पर बान ने कहा कि 1990 से 2010 के बीच कम से कम 70 करोड़ लोगों को बेहद गरीबी की स्थिति से बाहर निकाला गया। उन्होंने गरीबी को इतिहास बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की सहायता के प्रति दृढ़ता व्यक्त की। बान ने कहा कि वर्ष 2008 में वित्तीय संकट की शुरुआत के बाद से विश्व में असमानता बढ़ी है तथा महिलाओं एवं लड़कियों के खिलाफ भेदभाव कायम है। उन्होंने आगाह किया कि बढ़ती गरीबी और असमानता तथा धन एवं अभाव के बीच बढ़ती खाई समाज के ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे समाज में अस्थिरता का संकट कायम होगा।

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने पश्चिम अफ्रीका में फैले इबोला वायरस का उल्लेख करते हुए कहा कि इस बीमारी से केवल स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि आर्थिक प्रगति को भी खतरा है। इससे तीन सबसे ज्यादा प्रभावित देशों लाइबेरिया, सियरा लियोन और गिनी में व्यापक गरीबी है। इस मौके पर ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन के अध्ययन पर आधारित अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा यूएन की रिपोर्ट पेश की गई। इसके अनुसार, 75 रुपये रोजाना कमाने वाले सबसे गरीब व्यक्ति की स्थिति को सुधारने के लिए सालाना 66 अरब डॉलर की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि पर्यावरण की रक्षा करते हुए विकास को बढ़ावा देने के लिए सालाना खरबों डॉलर की जरूरत होगी।

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