दासता के प्रतीक स्मारकों का समर्थन कर फंसे ट्रंप
श्वेत राष्ट्रवादियों के विरोधी इन प्रतिमाओं को नस्ली भेदभाव का प्रतीक मानते रहे हैं।
वाशिंगटन, रायटर। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप गुलामी प्रथा के समर्थक रहे कॉन्फेडरेट नायकों की प्रतिमाओं व स्मारकों का समर्थन कर राजनीति में अलग-थलग पड़ते नजर आ रहे हैं। ट्रंप के बयान की रिपब्लिकन नेताओं ने भी निंदा की है। अमेरिका के सहयोगी देशों से लेकर कॉरपोरेट दिग्गजों ने नस्ली हिंसा पर ट्रंप के रुख को खतरनाक करार दिया है।
बताया जाता है कि वर्जीनिया में हुई नस्ली हिंसा के मुद्दे पर आने वाले दिनों में ट्रंप के कुछ और सहयोगियों के इस्तीफे हो सकते हैं। वहीं पिछले कुछ दिनों में ही अमेरिका में कई स्थानों से कॉन्फेडरेट नायकों की प्रतिमाएं हटाई जा चुकी हैं। इसी का श्वेत राष्ट्रवादी विरोध कर रहे हैं।
डेमोक्रेटिक पार्टी सांसद नैंसी पेलोसी ने वाशिंगटन से भी ऐसे स्मारकों व प्रतिमाओं को हटाने की मांग की है। अब गोरे राष्ट्रवादियों को अमेरिकन राष्ट्रपति का साथ मिला है। डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर कहा, 'हमारी खूबसूरत प्रतिमाओं और स्मारकों को हटाये जाने के साथ इस महान देश के इतिहास और संस्कृति को खत्म किया जा रहा है। आप इतिहास नहीं बदल सकते, लेकिन इससे सबक जरूर ले सकते हैं।
ज्ञात हो कि कॉन्फेडरेट जनरलों ने अमेरिकी गृह युद्ध में दक्षिणी प्रांतों की ओर से लड़ा था। ये राज्य दास प्रथा के समर्थक थे। श्वेत राष्ट्रवादियों के विरोधी इन प्रतिमाओं को नस्ली भेदभाव का प्रतीक मानते रहे हैं। अमेरिका में रंग-नस्ल के आधार पर जारी तनाव के बीच शेयर मार्केट ने गुरुवार को पिछले तीन महीने का सबसे बड़ा गोता लगाया। वर्जीनिया के चार्लोट्सविले में गत दिनों कॉन्फेडरेट जनरल की प्रतिमा हटाए जाने के विरोध में ही श्रेष्ठतावादी सोच वाले गोरे राष्ट्रवादियों की रैली हो रही थी। दूसरा पक्ष इसके खिलाफ था।
इसी बीच नाजी विचारधारा से प्रभावित एक श्वेत युवक ने विरोधियों पर तेज रफ्तार में कार चढ़ा दी थी। इसमें एक महिला की मौत हो गई थी जबकि दो दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए थे।
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