महिला या पुरुष वार्ड में भर्ती करने पर उलझते रहे डॉक्टर, ट्रांसजेंडर की मौत
23 वर्षीय ट्रांसजेंडर एक्िटविस्ट एलिशा को आठ गोलियां मारी गईं थीं। इलाज की जगह स्टाफ महिला या पुरुष वार्ड में उलझा रहा।
पेशावर। पाकिस्तान के पेशावर में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। 23 वर्षीय ट्रांसजेंडर एक्िटविस्ट एलिशा को रविवार को आठ गोलियां मारी गईं थीं। उन्हें तत्काल इलाज की जरूरत थी, लेकिन अस्पताल का स्टाफ यह तय करने में ही व्यस्त रहा कि उन्हें महिला वार्ड में भर्ती किया जाए या पुरुष वार्ड में।
इलाज में देरी के कारण एलिशा की मौत हो गई। उनकी हालत गंभीर थी और इमरजेंसी में सर्जरी करने की जरूरत थी। खैबर-पख्तूनख्वां प्रांत में रविवार रात को उन पर हमला किया गया था, जिसके बाद इलाज के लिए उन्हें पेशावर के लेडी रीडिंग हॉस्पिटल अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
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एलिशा, ट्रांसजेंडर एडवोकेसी ग्रुप ट्रांस एक्शन अलाएंस (TAA) की जिला कोऑर्डिनेटर थी। इस संगठन ने फेसबुक पर कई पोस्ट के जरिये अस्पताल के इस कथित खराब रवैये के बारे में बताया। संगठन ने कहा कि हमारे विरोध के बाद एलिशा को फीमेल वार्ड में शिफ्ट किया गया, लेकिन तब महिला मरीजों ने उसके ट्रांसजेंडर होने पर आपत्ित जताई।
चौंकाने वाली बात यह है कि एलिशा के साथ अस्पताल में जाने वाले संगठन के सदस्यों ने अस्पताल के चिकित्सकों पर यौन उत्पीड़न करने का आरोप भी लगाया गया है। सदस्यों ने कहा कि उसने पूछा जा रहा था कि वे डांस करने का कितना चार्ज लेंगे। कोई पूछ रहा था कि उनकी दोस्त मर रही है, तो क्या वे उनके साथ सेक्स करेंगे।
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मौत से पहले 10 दिसंबर को पेशावर में एक रैली को संबोधित करते हुए एलिशा ने ट्रांसजेंडर लोगों की स्थिति के बारे में चर्चा की थी। उन्होंने कहा था कि समाज हमें स्वीकार नहीं करता है। हमें कम से कम अक्षम या विशेष लोगों के रूप में समाज की ओर से पहचान दी जानी चाहिए।
TAA की पांचवीं ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता एलिशा है, जिस पर हाल के महीनों में खैबर-पख्तूनख्वां प्रांत में हमला हुआ था। यह इलाका देश के उत्तरी कबिलाई क्षेत्र में आता है।
संगठन का अनुमान है कि प्रांत में करीब 45 हजार ट्रांसजेंडर लोग रह रहे हैं और देश में उनकी संख्या करीब पांच लाख होगी। यह संगठन ट्रांसजेंडर लोगों के अधिकारों की मांग को लेकर अपनी आवाज बुलंद करता जा रहा है।