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सख्‍त सुरक्षा इंतजामों के बीच इजरायल व फलस्‍तीन जाएंगे ट्रंप

बतौर राष्ट्र पति डोनाल्ड। ट्रंप सोमवार और मंगलवार को इजरायल और फलस्तीान के दौरे पर हैं।

By Monika minalEdited By: Published: Mon, 22 May 2017 11:55 AM (IST)Updated: Mon, 22 May 2017 12:02 PM (IST)
सख्‍त सुरक्षा इंतजामों के बीच इजरायल व फलस्‍तीन जाएंगे ट्रंप
सख्‍त सुरक्षा इंतजामों के बीच इजरायल व फलस्‍तीन जाएंगे ट्रंप

टेल अवीव (एएनआई)। अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप सोमवार और मंगलवार को इजरायल और फलस्‍तीन दौरा करेंगे। सोमवार को यरुसलम में वे नेतान्‍याहू से मिलेंगे और मंगलवार को बेथलेहम में फलस्‍तीनी नेता महमूद अब्‍बास से मिलेंगे।

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रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा के सख्‍त इंतजाम के बीच इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्‍याहू और फलस्‍तीन के राष्‍ट्रपति महमूद अब्‍बास से अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप मुलाकात करेंगे। अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने पहले कहा था कि इजरायल और फलस्‍तीन को विवादास्‍पद इजरायली बस्‍तियों समेत सभी आपसी मामलों को सुलझाने के लिए सीधे तौर पर वार्ता करना होगा।

इजरायल के 1967 के कब्‍जे के बाद से 140 इजरायली बस्‍तियां फलस्‍तीन में बसायी गयी हैं जिसमें करीब 50 लाख यहूदी रह रहे हैं। अंतर्राष्‍ट्रीय कानून के तहत ये बस्‍तियां अवैध मानी गयी हैं हालांकि इजरायल को इसपर आपत्‍ति है। परेशानी का एक और मुद्दा यरुशलम है जिसे इजरायल अपनी राजधानी मानता है जबकि फलस्‍तीन की ओर से भी इसके पूर्वी भाग पर दावा ठोका गया है। 

इजरायल के बाद ट्रंप का अगला पड़ाव रोम और वेटिकन होगा जहां वह पोप से मुलाकात करेंगे। वह अमेरिका और विश्व में कैथोलिक समुदाय के समृद्ध योगदान को याद करना और साझी चिंता के मामलों पर चर्चा करना चाहते हैं। इसके बाद वे रोम से ब्रसेल्स जाएंगे जहां वह यूरोपीय संघ एवं यूरोपीय परिषद के नेताओं से मुलाकात करेंगे। ट्रंप ब्रसेल्स से जी 7 बैठक के लिए सिसिली जाएंगे।

इजराइल ने 1948 में ब्रिटिश शासन खत्म होने के बाद आजादी का एलान किया। इससे पहले 1947 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक योजना पारित कर दी गई जिसके मुताबिक फिलस्तीन को दो हिस्सों में बांटा जाएगा। एक यहूदी राष्ट्र और दूसरा अरब राष्ट्र। फलस्तीनी प्रतिनिधियों ने इस योजना को खारिज कर दिया था। इजराइल ने 1967 के मध्य पूर्व युद्ध में पश्चिमी तट और पूर्वी यरुशलम पर कब्जा कर लिया। गाजा पर भी उसका कब्जा हो गया था, लेकिन वह अभी फलस्तीनी कट्टरपंथी संगठन हमास के नियंत्रण में है। फलस्तीनी इन इलाकों को मिलाकर एक फलस्तीन राष्ट्र बनाना चाहते हैं। इजरायल और फलस्तीन के बीच शांति वार्ता 2014 से बंद पड़ी है।

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