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इराक की संसद पर शिया प्रदर्शनकारियों का कब्जा, पीएम के भी भागने की खबर

इराक संसद कैबिनेट गठन को मंजूरी नहीं दे पाया है जिसके बाद नाराज शिया प्रदर्शनकारियों ने इराक की संसद पर कब्जा जमा लिया है।

By Manish NegiEdited By: Published: Sat, 30 Apr 2016 06:21 PM (IST)Updated: Sun, 01 May 2016 02:51 AM (IST)
इराक की संसद पर शिया प्रदर्शनकारियों का कब्जा, पीएम के भी भागने की खबर

बगदाद, (रायटर)। आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आइएस) से जूझ रहे मध्य-पूर्व में राजनीतिक उथल-पुथल का नया दौर शुरू हो गया। इराक की संसद पर शिया प्रदर्शनकारियों ने कब्जा जमा लिया है। प्रधानमंत्री हैदर अल आब्दी के भागने की खबर भी है। नई कैबिनेट का गठन करने में संसद के असफल रहने के कारण ये हालात पैदा हुए हैं। मौजूदा मंत्रियों का हटाकर उनकी जगह निष्पक्ष, किसी भी गुट से संबंध नहीं रखने वाले टेक्नोक्रेटों को कैबिनेट में जगह देने के लिए शिया धर्मगुरु मोक्तदा अल सद्र के नेतृत्व में कई हफ्तों से बगदाद में प्रदर्शन चल रहा था।

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इराक की ताकतवर राजनीतिक पार्टियां इसके विरोध में रहीं हैं। शनिवार को भी संसद इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने में नाकाम रही। इससे नाराज सैकड़ों प्रदर्शनकारी 'ग्रीन जोन' में घुस गए। उन्होंने संसद पर कब्जा कर लिया। तस्वीरों और वीडियो फुटेज में प्रदर्शनकारी सदन के भीतर नाचते, इराकी झंडा लहराते और तोड़फोड़ करते नजर आए। ग्रीन जोन से बाहर जुटे हजारों प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा आंसू गैस और हवा में गोली चलाए जाने की खबर है। दो सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि विशेष बल के जवानों का एक दस्ता बख्तरबंद वाहनों के साथ ग्रीन जोन में भेजा गया है।

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बगदाद में प्रवेश करने वाले सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं। आपातकाल लागू कर दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता ने बताया कि इलाके में स्थित सभी राजनयिक कार्यालय बंद कर दिया गया है। अमेरिका ने दूतावास खाली करने की खबरों से इन्कार किया है। शरकिया टीवी पर दर्जनों सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों के साथ ग्रीन जोन से निकलते प्रधानमंत्री आब्दी की तस्वीरें प्रसारित होने के बाद से उनके राजधानी से भागने की अटकलें लगाई जा रही है। गौरतलब है कि शिया बहुल इराक में ज्यादातर समय सुन्नी का राज रहा है।

कौन हैं अल सद्र?

12 अगस्त 1973 को इराक के नजफ शहर में मोक्तदा अल सद्र का जन्म हुआ। एक दौर में वे पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन के बाद देश के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति माने जाते थे। वे एक ताकतवर मिलिशिया के नेता भी हैं। 2014 में इसी मिलिशिया के कारण आइएस बगदाद पर कब्जा करने में असफल रहा था। 2014 में सक्रिय राजनीति से उन्होंने अलग होने का एलान किया था। दो महीने पहले उन्होंने इराक से भ्रष्टाचार के सफाये का एलान करते हुए राजनीति में वापसी की थी।

क्या है ग्रीन जोन?

बगदाद के मध्य में स्थित 10 वर्ग किमी के दायरे के क्षेत्र को ग्रीन जोन या इंटरनेशनल जोन कहते हैं। इसी इलाके में संसद, मंत्रालय, विदेशी दूतावास सहित अन्य महत्वपूर्ण कार्यालय हैं। यह इलाका अति सुरक्षित माना जाता है। यह चारों ओर से कंक्रीट की दीवारों से घिरा है। सद्दाम हुसैन के जमाने में भी यही इलाका सत्ता का केंद्र था। अप्रैल 2003 में इस इलाके पर अमेरिकी बलों ने कब्जा कर लिया था। अभी भी इस क्षेत्र में विदेशी बलों की मौजूदगी है।

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जायरीनों पर आइएस का हमला, 23 की मौत

बगदाद के करीब शिया जायरीनों को निशाना बनाकर किए गए एक कार बम हमले में शनिवार को 23 लोगों की मौत हो गई और 38 अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि उत्तरी बगदाद में इमाम मूसा कादिम की दरगाह की तरफ जा रहे जायरीनों को नहरावान इलाके में निशाना बनाया गया। आइएस ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए बताया कि आत्मघाती हमलावर ने तीन टन विस्फोटकों से लदे वाहन को उड़ाकर घटना को अंजाम दिया। शिया इस्लाम के 12 इमामों में सातवें इमाम कादिम का 799 ईस्वी में निधन हो गया था। उनके उर्स पर हजारों की संख्या में लोग दरगाह पर जमा होते हैं। पिछले साल भी इस दौरान हुए हमले में 13 जायरीनों की मौत हो गई थी।


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