भारत से बात डोकलाम से पीछे हटने पर ही : चीन
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि विदेश मंत्री ने इस विवाद का एकमात्र समाधान बता दिया है।
बीजिंग, आइएएनएस। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के चीन दौरे की पूर्वसंध्या पर चीन ने दो टूक कह दिया कि डोकलाम मुद्दे पर तब तक कोई बात नहीं हो सकती जब तक भारत उस जगह से पीछे नहीं हट जाता। चीन के विदेश मंत्री वांग ई ने मंगलवार को भी सीमा विवाद के मुद्दे को छेड़ कहा था कि भारतीय सेना वापस लौटे।
बुधवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा कि विदेश मंत्री ने इस विवाद का एकमात्र समाधान बता दिया है। दोनों देशों के बीच किसी भी सार्थक बातचीत के लिए बिना किसी शर्त के भारत को पीछे हटना होगा। गौरतलब है कि गुरुवार को शुरू हो रहे ब्रिक्स सम्मेलन की तैयारियों की बैठक में शिरकत करने एनएसए अजीत डोभाल बीजिंग पहुंच रहे हैं। ब्रिक्स की इस बैठक में परंपरागत रूप से पांच देशों के सुरक्षा सलाहकार सुरक्षा संबंधी मुद्दों और आतंकवाद के खिलाफ वार्ता करेंगे। यह बैठक अब इसलिए ज्यादा अहम हो गयी है क्योंकि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद बढ़ गया है। यह अब तक साफ नहीं हो सका है कि डोभाल अपनी इस चीन यात्रा के दौरान चीन के सर्वोच्च राजनयिक यांग जेयची ने सम्मेलन के इतर अलग से मुलाकात कर पाएंगे या नहीं।
उल्लेखनीय है कि डोकलाम चीन, भारत और भूटान का साझा प्वाइंट है। लेकिन डोकलाम पड़ोसी मुल्क भूटान के हिस्से में आता है, जहां अब चीन ने सड़के बनाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। इस बात का भूटान ने कड़ा विरोध किया है। भारत ने भी भूटान का समर्थन करते हुए इस पर कड़ा ऐतराज जताया है क्योंकि चीन का ऐसा करना भारत के लिए भी बड़ा खतरा है। इस स्थान से भारत के सामरिक दृष्टि से अहम ठिकाने और हाईवे खतरे में पड़ जाएंगे। लिहाजा, पिछले माह जून में भारतीय सेना ने चीनी सैन्य बलों द्वारा किये जा रहे सड़क निर्माण का काम रोक दिया था। तब से भारत और चीन के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है।
भारत का पक्ष लेने पर अमेरिका पर बिफरा चीनी मीडिया
बीजिंग : चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपनी ताजा लेख में अमेरिका पर आरोप लगाया है कि वह भारत और चीन के विवाद को बढ़ा रहा है। 'दक्षिण चीन सागर' मामले की तर्ज पर ही वह इस मामले को अपने फायदे के लिए तूल दे रहा है। भारत और चीन के बीच इस विवाद के पांच हफ्ते बीतने के बाद कुछ अन्य देश इससे जुड़ कर फायदा उठाना चाहते हैं। लेख में कहा गया है कि अब तक ट्रंप प्रशासन ने भारत-अमेरिका संबंधों पर कम ही तवज्जो दी है। बल्कि आव्रजन और व्यापार को लेकर कई मतभेद भी कायम हैं। अगर अमेरिकियों को लगता है कि वह दक्षिण चीन सागर वाली चाल चलकर कोई फायदा उठा लेंगे तो वह गलत हैं। अमेरिका की दखलंदाजी से चीन अपनी सुरक्षा को ताक पर नहीं रख देगा।
तिब्बत में मंगल ग्रह के लिये बेस बनाएगा चीन
बीजिंग : चीन तिब्बत में मंगल ग्रह के संकेतों का अध्ययन करने वाला केंद्र बना रहा है। यह बेस तिब्बत के पूर्वी भाग में स्थित जिंघाई प्रांत में बनाया जाएगा। चीन का मकसद इस स्थान पर वैज्ञानिक खोज करना और पर्यटन के लिए स्थल विकसित करना है। चीन की शोध संस्था के निदेशक जियोकुन ने बताया कि यहां वैज्ञानिक शोध, प्रकृति, संस्कृति और अंतरिक्ष विज्ञान का समावेश करना है।
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