सुषमा का रानिल को जवाब, बातचीत से हल हो मछुआरा विवाद
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शनिवार को श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे से भेंट कर मछुआरों को मुद्दा उठाया। उन्होंने विक्रमसिंघे से कहा कि मछुआरों का मुद्दा मानवीय है। इसे बातचीत के माध्यम से हल करने की जरूरत है।
कोलंबो। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शनिवार को श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे से भेंट कर मछुआरों को मुद्दा उठाया। उन्होंने विक्रमसिंघे से कहा कि मछुआरों का मुद्दा मानवीय है। इसे बातचीत के माध्यम से हल करने की जरूरत है।
इसके साथ ही स्वराज ने कहा कि मछुआरों का मुद्दा और इतावली मरीन्स दोनों अलग-अलग मुद्दे है। इसके पहले विदेश मंत्रालय में प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने भी कहा था कि मछुआरे मुद्दे को भारत श्रीलंका के सामने दृढ़ता से रखेगा। अकबरुद्दीन ने कहा, 'दोनों देश इस मुद्दे को मानवीय विषय के रूप में ले रहे हैं। यह एक भावनात्मक मुद्दा है। इस मुद्दे का तुरंत समाधान नहीं मिल सकता लेकिन हम हमारे दोस्त और समुद्री पड़ोसी के साथ मिलकर काम करेंगे।'
इससे पहले, श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने तीखे तेवर दिखाते हुए विवादित बयान दे दिया। श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भारतीय मछुआरों को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर वे श्रीलंका की समुद्री सीमा में घुसपैठ करेंगे तो उन्हें गोली मार दी जाएगी। मोदी 13-14 मार्च को श्रीलंका जाएंगे। वे 1987 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बाद श्रीलंका जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे।
विक्रमसिंघे का यह बयान ऐसे सामने आया है, जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज श्रीलंका दौरे पर हैं। भारतीय मछुआरों पर उत्तरी श्रीलंकाई मछुआरों की आजीविका छीनने का आरोप लगाते हुए विक्रमसिंघे ने एक तमिल चैनल से थांती टीवी से चर्चा में कहा, 'यदि कोई मेरे घर में घुसने की कोशिश करता है, तो मैं उसे गोली मार सकता हूं। यदि वह मारा जाता है.. तो कानून मुझे ऐसा करने की इजाजत देता है।'
उन्होंने मछुआरा मामले में कहा, 'जहां तक मुझे पता है, हमारी सीमा रेखाएं बहुत ज्यादा मजबूत हैं। यह हमारा पानी है, जाफना के मछुआरों को मछलियां पकड़ने की अनुमति देना चाहिए। हम उन्हें मछलियां पकड़ने से रोकते हैं, इसलिए भारतीय मछुआरे अंदर आ गए, वे समझौता करने के लिए तैयार हैं।। एक उचित समझौता हो लेकिन उत्तरी मछुआरों की आजीविका की कीमत पर नहीं, बिलकुल नहीं।'
2011 के बाद नहीं घटी घटना
श्रीलंकाई नौसेना की गोलीबारी में पिछले कई वर्षो में करीब 600 भारतीयों के मारे जाने संबंधी आरोप पर श्रीलंकाई प्रधानमंत्री ने कहा कि आखिरी बार यह घटना 2011 में हुई थी, इसके बाद ऐसा कुछ नहीं हुआ है। विक्रमसिंघे ने कहा, 'इनमें से पहले की कई घटनाएं श्रीलंका के गृह युद्घ के समय हुई थी, उनका मानना था कि उनमें से कुछ लोग वास्तव में हथियारों की आपूर्ति में शामिल थे।'
भारत से बातचीत में निकालेंगे हल
विक्रमसिंघे ने कहा, 'जहां तक हमारी बात है, आज भी उत्तरी क्षेत्र के मछुआरे पूछ रहे हैं कि नौसेना हमारी रक्षा क्यों नहीं कर रही।' हमारा काम उन्हें समझाने का है कि देखो यह समुद्री सीमा है, लेकिन हमें फिर भी जाकर भारत से बात करनी होगी और इस मसले को सुलझाना होगा।'
उन्होंने कहा, 'आप हमारे जलक्षेत्र में क्यों आ रहे हो? आप हमारे जलक्षेत्र में मछलियां क्यों पकड़ रहे हो? भारतीय जलक्षेत्र में रहो.. इससे कोई समस्या नहीं होगी।। कोई किसी को गोली नहीं मारेगा।'
.वरना नौसेना पर मत लगाना आरोप
विक्रमसिंघे ने कहा, 'आप आपके जलक्षेत्र में रहें, हमारे मछुआरों को हमारे जलक्षेत्र में रहने दें। वरना नौसेना पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप न लगाएं। आप यहां आए थे।'
उठाया इटली मरीन्स का मुद्दा
उन्होंने इटली के मरीनों को गिरफ्तार किए जाने का मामला उठाते हुए कहा कि यदि भारत इटली का मित्र है, तो उसे इटली के प्रति भी वही उदारता दिखानी चाहिए जो वह हमसे उम्मीद करता है।' पिछले महीने भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी और उनके अपहरण के कई मामले हुए हैं।
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