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आतंक के पनाहगार बने पाक पर ट्रंप सरकार के रवैये पर होगी भारत की खास नजर

चुनाव से पहले पाकिस्तान को लेकर काफी तल्ख टिप्पणी कर चुके ट्रंप के स्वर चुनाव जीतने के बाद कुछ बदले हुए हैं।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Fri, 20 Jan 2017 07:46 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jan 2017 09:45 PM (IST)
आतंक के पनाहगार बने पाक पर ट्रंप सरकार के रवैये पर होगी भारत की खास नजर
आतंक के पनाहगार बने पाक पर ट्रंप सरकार के रवैये पर होगी भारत की खास नजर

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दुनिया के अन्य सभी प्रमुख राष्ट्रों की तरह भारत भी अगले कुछ दिनों तक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों पर करीबी निगाह रखेगा। ऐसा पहली बार हो रहा है कि अमेरिका में नए राष्ट्रपति ने शुक्रवार को देर रात शपथ ले ली है लेकिन उसकी नीतियों को लेकर अभी तक असमंजस बना हुआ है। अभी तक राष्ट्रपति का पदभार संभालने से पहले ही उस व्यक्ति की भावी नीतियों को लेकर स्पष्टता हो जाती थी। जानकारों की मानें तो ट्रंप की तमाम ऐसी कूटनीतिक व कारोबारी नीतियां होंगी जो सीधे या परोक्ष तौर पर भारत के हितों को प्रभावित करेंगी लेकिन उनकी चार भावी नीतियों पर भारत की सबसे ज्यादा सतर्क निगाहें होंगी।

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चीन से कैसे निपटेंगे ट्रंप

चीन को लेकर ट्रंप की भावी नीति वैसे तो दुनिया के तमाम देशों को प्रभावित करेगी लेकिन भारत की कूटनीति पर इसका सीधा असर पड़ेगा। वैसे भी चीन और भारत के रिश्ते पिछले एक वर्ष से लगातार खराब हो रहे हैं। चीन के रुख से यह साफ है कि वह भारत की चिंताओं को लेकर वह बहुत ज्यादा संवेदनशील नहीं है और इसकी भी उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि चीन इसमें बदलाव भी करेगा। कई जानकार मानते हैं कि हाल ही में अमेरिका ने भारत को अपना सबसे अहम रणनीतिक साझेदार चीन को देख कर ही घोषित किया है। जानकारों के मुताबिक अगर ट्रंप अपनी पूर्व घोषणाओं के मुताबिक सीधे तौर पर चीन से टक्कर लेने की नीति अख्तियार करते हैं तो यह भारत के लिए कूटनीतिक तौर पर ज्यादा चुनौतीपूर्ण साबित होगा। इसी तरह से भारत यह भी देखना चाहेगा कि ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका व रूस के बीच रिश्ते क्या सहयोग के नए युग की शुरुआत करेंगे।

क्या पाक को समझा पाएंगे ट्रंप

चुनाव से पहले पाकिस्तान को लेकर काफी तल्ख टिप्पणी कर चुके ट्रंप के स्वर चुनाव जीतने के बाद कुछ बदले हुए हैं। ऐसे में भारत को यह देखना होगा कि आतंक के पनाहगार बने पाकिस्तान को लेकर ट्रंप कड़ा रवैया अख्तियार करते हैं या ओबामा प्रशासन की तरह ही बैलेंस बनाने की नीति अपनाते हैं। अगर ट्रंप दबाव बना कर पाकिस्तान को आतंकियों की मदद करने की नीति को छोड़ने के लिए मजबूर कर देते हैं तो यह भारत की आतंरिक व बाहरी सुरक्षा के लिए बहुत सकारात्मक बदलाव होगा। भारत व पाक के रिश्ते फिलहाल बेहद खराब हैं और पाकिस्तान ने चीन व रूस के साथ त्रिपक्षीय समीकरण बनाने शुरु कर दिये हैं। यह समीकरण भारतीय कूटनीति के लिए आगे चल कर एक बड़ी चिंता का कारण बन सकता है। भारत यह भी देखना चाहेगा कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिक रखने की नीति को ले कर ट्रंप क्या फैसला करते हैं।

वैश्विक ट्रेड समझौतों पर टेढ़ी नजर

यह राज की बात नहीं है कि ट्रंप वैश्विक व्यापारिक समझौते के खिलाफ हैं और इन्हें नए सिरे से करने की वकालत करते हैं। अगर वह इस नीति को अमली जामा पहनाते हैं तो अन्य विकसित व विकासशील देशों के साथ ही भारत पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ेगा। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार देश है। दोनों देशों के बीच मौजूदा 109 अरब डॉलर के कारोबार को 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में ट्रंप प्रशासन अगर व्यापारिक नीतियों पर संरक्षणवादी रवैया अपनाते हैं तो यह भारत के निर्यात व उद्योग जगत के लिए बहुत बड़ा धक्का होगा।

क्या होगा आइटी पेशेवरों का भविष्य

वैसे तो यह संरक्षणवादी नीति से ही जुड़ा हुआ है लेकिन ट्रंप अगर एच-1 वीजा के मसले पर कड़ा रवैया अपनाते हैं तो यह भारत के हितों को बहुत दूर तक प्रभावित करने वाला साबित होगा। अमेरिका की तरफ से जितने विदेशी पेशेवरों को एच1 वीजा दिया जाता है उसमें से 90 फीसद भारतीय होते हैं। भारत की सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों की कमाई का यह बड़ा स्त्रोत है। साथ ही आइटी निर्यात से भी भारत को कमाई होती है।

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