ग्लेशियर की आकृति से चलेगा खतरे का पता
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के शोधकर्ताओं ने पश्चिमी ग्रीनलैंड ग्लेशियर के आकार को लेकर अध्ययन किया।
ह्यूस्टन, प्रेट्र। वैज्ञानिकों ने ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर पर मंडराते खतरे और समुद्र के बढ़ते जल स्तर के बारे में पता लगाने का नया तरीका खोज निकाला है। उनका कहना है कि ग्लेशियर की आकृति का विश्लेषण कर इसके सिमटने के खतरे के बारे में पहले से पता लगाया जा सकता है।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के शोधकर्ताओं ने पश्चिमी ग्रीनलैंड ग्लेशियर के आकार को लेकर अध्ययन किया। ग्रीनलैंड ग्लेशियर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ग्लेशियर है। मगर वातावरण में बढ़ती गर्मी के कारण पिछले कई दशक से इसका आकार सिमट रहा है।
हालांकि ग्लेशियर के पिघलने से समुद्र के जल स्तर में होने वाले बदलाव का आकलन कर पाना जटिल प्रक्रिया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि नई तकनीक की मदद से यह पता लगाना आसान होगा कि आने वाली सदी में ग्रीनलैंड के पिघलने से समुद्र के जल स्तर में कितनी बढ़ोतरी होगी। शोधकर्ता डेनिस फेलिकसन ने कहा कि ग्लेशियर के कारण समुद्र के जल स्तर में होने वाला बदलाव एक इंच से कुछ फुट तक का भी हो सकता है। हमने इस अंतर को समझने का प्रयास किया है।
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