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अरे जरा बच के! वाई-फाई के इस्तेमाल से हो सकती है मौत

आजकल वाईफाई आम है, लेकिन क्या आपको पता है कि इसकी एलर्जी और रिएक्शन से इनसान की जान भी जा सकती है। ब्रिटेन में 15 वर्षीय स्कूल छात्रा ने इससे परेशान होकर आत्महत्या कर ली। अब उसके माता-पिता वाईफाई के इस नुकसान के प्रति जागरूकता फैला रहे हैं।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2015 07:02 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2015 07:05 PM (IST)
अरे जरा बच के! वाई-फाई के इस्तेमाल से हो सकती है मौत

लंदन। आजकल वाईफाई आम है, लेकिन क्या आपको पता है कि इसकी एलर्जी और रिएक्शन से इनसान की जान भी जा सकती है। ब्रिटेन में 15 वर्षीय स्कूल छात्रा ने इससे परेशान होकर आत्महत्या कर ली। अब उसके माता-पिता वाईफाई के इस नुकसान के प्रति जागरूकता फैला रहे हैं।

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जैनी फ्राय इलेक्ट्रो-हायपरसेंसिटिविटी (ईएचएस) से पीड़ित थी। स्कूल में वायरलैस इंटरनेट कनेक्शन का उसके शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता था। उसे थकान, सिरदर्द और यूरीन संबंधी समस्याएं रहती थीं।

मां डेबरा के मुताबिक, जैनी ने मुझे इस बारे में बताया, लेकिन कोई कुछ समझ पाता, डॉक्टर जांच कर पाते, इससे पहले ही बेटी ने आत्महत्या कर ली।

इस साल 11 जून की इस घटना के बाद जैनी की मां डेबरा फ्राय और पिता चार्ल्स ने ऑक्सफोर्डशायर कोरोनर्स कोर्ट को बताया कि उनकी बेटी वाईफाई के कारण बीमार पड़ी। इसी कारण उन्होंने अपने घर में लगा इंटरनेट कनेक्शन भी हटवा लिया था।

अनूठे मामले से जुड़ी रोचक बातें

  • जैनी के माता-पिता के मुताबिक, उनकी बेटी स्कूल के खाली क्लासरूम से घबराती थी, जहां वाईफाई की भरपूर रेंज मिलती थी। वह कक्षा में उन सीटों पर बैठती थीं, जहां से राउटर दूर हो।
  • डेबरा का मानना है कि वाईफाई बच्चों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने खुद इस पर प्रयोग किया है।
  • स्कूल में मां-बेटी ने कई बार इस समस्या के बारे में बताया, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया।
  • वाईफाई से दूर जाने पर जैनी राहत महसूस करती थी। इस कारण वह ऐसे स्थानों पर ज्यादा वक्त बिताती थी, जहां वाईफाई की रेंज न हो, लेकिन इससे उसकी पढ़ाई पर प्रभावित होने लगी थी।
  • अब माता-पिता स्कूलों में जा-जाकर वाईफाई हटाने की अपील कर रहे हैं।

क्या है इलेक्ट्रो-हायपरसेंसिटिविटी

इस बीमारी में मरीज को रेडियोवेव और माइक्रोवेव से एलर्जी हो जाती है। खासतौर पर रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले मोबाइल, वाईफाई और माइक्रोवेव से निकलने वाली तरंगें उन्हें बीमार कर देती हैं। अकेले ब्रिटेन में ऐसे मरीजों की संख्या करीब 30 लाख है। स्वीडन में इसे अक्षमता करार दिया गया है।


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