रूस ने उत्तरी ध्रुव व आर्कटिक महासागर के बड़े क्षेत्रों पर अपना दावा ठोका
रूस ने उत्तरी ध्रुव सहित आर्कटिक महासागर के एक विशाल क्षेत्र पर कल औपचारिक रूप से अपना दावा पेश किया है। उधर, समुद्री सीमाओं से संबंधित मामलों में निर्णय करने वाली संयुक्त राष्ट्र की समिति अगर रूस के दावे को स्वीकार कर लेती है तो इन क्षेत्रों से जुड़़ी आर्थिक
मास्को। रूस ने उत्तरी ध्रुव सहित आर्कटिक महासागर के एक विशाल क्षेत्र पर कल औपचारिक रूप से अपना दावा पेश किया है। उधर, समुद्री सीमाओं से संबंधित मामलों में निर्णय करने वाली संयुक्त राष्ट्र की समिति अगर रूस के दावे को स्वीकार कर लेती है तो इन क्षेत्रों से जुड़़ी आर्थिक मामलों की निगरानी का अधिकार रूस के पास होगा। इनमें इन क्षेत्रों में मछली पकड़ने, तेल और गैस की ड्रिलिंग जैसे आर्थिक मामले शामिल हैं। हालांकि इन क्षेत्रों पर रूस को पूर्ण संप्रभूता हासिल नहीं होगा।
समुद्रों से संबंधित कानूनों को लेकर संयुक्त राष्ट्र के 1982 में हुए सम्मेलन के मुताबिक कोई देश अपने तटीय महाद्वीपीय पट्टी पर विशेष आर्थिक क्षेत्र का दावा कर सकता हैं। रूस ने इसी तरह का दावा वर्ष 2002 में भी किया था। लेकिन संयुक्त राष्ट्र के वैज्ञानिक समर्थन की कमी की वजह से इसे अस्वीकार कर दिया गया।
इस बार रूस ने नए सबूतों के साथ अपना दावा नए सिरे से पेश किया है। इस बारे में रूस के विदेश मंत्रालय की ओर से वेबसाइट पर जारी बयान के मुताबिक रूस ने भूमि और समुद्र के जितने क्षेत्र पर अपना दावा पेश किया है वह 12 लाख स्क्वायर मीटर यानि 463,000 वर्ग मील है।
पिछले चार साल के दौरान आर्कटिक महासागर के उच्च अक्षांशों की सीमाओं पर किसी का कोई खास ध्यान नहीं था। इन क्षेत्रों में लोगों का ध्यान ध्रुवीय भालू और सीलों पर केंद्रित था। लेकिन ग्लोबलवार्मिंग की वजह से हालात तेजी से बदल रहे हैं। आर्कटिक महासागर में बर्फ तेजी से पिघल रहे हैं। यहां कारा सागर में पहले से ही रूस की ऑयल ड्रिलिंग की परियोजना चल रही है।
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