रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट, सबसे खतरनाक दौर में प्रेस की आजादी
संस्था ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद से 'फर्जी खबरों पर भावनात्मक रूप से बह जाने के नए दौर' को लेकर आगाह किया है।
पेरिस, एएफपी। प्रेस की आजादी को जितना खतरा आज है उतना पहले कभी नहीं था। यह बात निगरानी संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने बुधवार को जारी अपनी सालाना रिपोर्ट में कही है। संस्था के प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में पिछले साल के मुकाबले भारत तीन पायदान नीचे खिसक कर 136वें स्थान पर आ गया है।
संस्था ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद से 'फर्जी खबरों पर भावनात्मक रूप से बह जाने के नए दौर' को लेकर आगाह किया है। रिपोर्ट में कहा है कि ट्रंप के चुनाव प्रचार और ब्रिटेन के ब्रेक्जिट जनमत संग्रह की मीडिया ने 'अत्यधिक कटु' आलोचना की। दुनियाभर में सत्तावादी ताकतों में वृद्धि हो रही है जो प्रेस की आजादी और निगरानी बढ़ा रहे हैं। प्रेस की आजादी को सीमित करने की कोशिशों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा गया है, लोकतांत्रिक देशों में हालात सच्चाई से परे भावुक अपीलों, दुष्प्रचार और आजादी के दमन के दौर में है। लोकतांत्रिक देश सूचकांक में लगातार नीचे खिसक रहे हैं। इस गिरावट को रोकने की कोई कोशिश भी नहीं हो रही।
रिपोर्ट में भारत को पत्रकारिता के लिए 'मुश्किल परिस्थिति' वाले देशों की श्रेणी में रखा गया है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश भी इसी श्रेणी में आते हैं। भारत में प्रेस की आजादी की बाधाओं का जिक्र करते हुए कहा गया है कि हिंदू राष्ट्रवादी राष्ट्रीय बहसों में दखल देने की कोशिश कर रहे हैं। मुख्यधारा की मीडिया में सेल्फ सेंसरशिप का चलन बढ़ा है। पत्रकारों के खिलाफ ऑनलाइन दुष्प्रचार और धमकी देने की घटनाएं भी बढ़ी हैं।
रिपोर्ट की खास बातें
-प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में नॉर्वे पहले और उत्तर कोरिया आखिरी स्थान पर है। बीते छह साल तक पहले पायदान पर रहा फिनलैंड तीसरे नंबर पर पहुंच गया है।
-कई देशों का प्रदर्शन पिछले साल की तुलना में कमजोर रहा है। ब्रिटेन, अमेरिका और चिली दो-दो स्थान की गिरावट के साथ क्रमश: 40वें, 43वें और 33वें स्थान पर हैं। न्यूजीलैंड आठ स्थान की गिरावट के साथ 13वें स्थान पर है।
-रूस में प्रेस की आजादी की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है। वह पिछले साल की तरह 148वें स्थान पर ही बना हुआ है। जुलाई के नाकाम तख्तापलट के बाद तुर्की की स्थिति भी भयावह हो गई है।
-भारत, रूस, चीन सहित 72 देशों में प्रेस की आजादी को लेकर हालात बहुत गंभीर है। इन देशों में मीडिया को निशाना बनाने की घटनाएं सामान्य हो गई हैं।
-पिछले साल जिन देशों में प्रेस की आजादी को लेकर स्थिति काफी अच्छी थी ऐसे देशों की संख्या में दो फीसद तक की कमी आई है।
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