खाद्य सुरक्षा कानून 33 राज्यों में लागू, तमिलनाडु, केरल और नागालैंड पीछे
केन्द्रीय खाद्यमंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि राशन प्रणाली की लीकरेज रोकने की पूरी कोशिश की जा रही है।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सस्ता अनाज बांटने की राशन प्रणाली को आधार नंबर से जोड़कर सरकार ने 10 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी की सीधी बचत की है। जबकि अभी केवल 56 फीसद राशन कार्डों को ही आधार नंबर से जोड़ा जा सका है। जबकि देश के सभी राज्यों में खाद्य सुरक्षा कानून लागू हो चुका है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि राशन प्रणाली की लीकेज को रोकने की पूरी कोशिश की जा रही है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून देश के 33 राज्यों में लागू हो चुका है। जबकि तमिलनाडु और केरल में विधानसभा चुनाव होने की वजह से इसका क्रियान्वयन नहीं हो सका है। पूर्वोत्तर के नागालैंड में इसे लागू नहीं किया जा सका है। पासवान ने बताया कि सारे राज्यों में जहां यह कानून लागू किया गया है, उन राज्यों में पहले शत प्रतिशत राशन कार्डों का डिजिटीकरण किया गया।
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इसके साथ दूसरा चरण सभी राशन कार्डों को आधार नंबर से जोड़ा जा रहा है। इनमें भी कुछ राज्य बहुत आगे हैं। इसके चलते अब तक 1.62 करोड़ राशन कार्ड फर्जी पाये गये। सरकार की इस पहल से सीधे तौर पर खाद्य सब्सिडी की होने वाली चोरी पर रोक लगी है। पासवान ने एक आंकड़ा देते हुए बताया कि कुल 10 हजार करोड़ रुपये की खाद्य सब्सिडी की बचत हुई है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश के बाकी बचे 44 फीसद राशन कार्ड को आधार से जोड़ देने पर कम से कम से 50 लाख राशन कार्ड फर्जी पाये जाएंगे।
इन्हीं आंकड़ों को देखते हुए सरकार ने राशन कार्ड को आधार से जोडऩे के लिए राज्यों पर लगातार दबाव बनाया है, ताकि अनाज की चोरी यानी लीकेज को रोका जा सके। खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने के साथ लीकेज रोकना सरकार की प्राथमिकता है।
खाद्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि खाद्य सब्सिडी का 30 से 40 फीसद अनाज राशन प्रणाली से चोरी चला जाता है। आधार नंबर और उपभोक्ताओं के बायोमीट्रिक पहचान के माध्यम से लीकेज को रोकना आसान हो जाएगा। पूर्व केंद्रीय खाद्यमंत्री शांता कुमार की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राशन प्रणाली में 47 फीसद खाद्य सब्सिडी चोरी हो जाती है।