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भारत के पास सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की पूरी योग्यता: मोदी

उनकी इस यात्रा का उद्देश्य चारों देशों के साथ आर्थिक संबंध और निवेश को बढ़ाना है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Mon, 29 May 2017 08:09 PM (IST)Updated: Tue, 30 May 2017 06:12 AM (IST)
भारत के पास सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की पूरी योग्यता: मोदी
भारत के पास सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की पूरी योग्यता: मोदी

बर्लिन, रायटर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती करार दिया है। उन्होंने इस खतरे से निपटने के लिए यूरोप से संयुक्त राष्ट्र के तहत प्रभावी वैश्विक तंत्र विकसित करने के लिए प्रमुख भूमिका निभाने का अनुरोध किया।

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 चार देशों जर्मनी, स्पेन, रूस और फ्रांस की छह दिवसीय यात्रा के पहले चरण में मोदी सोमवार को बर्लिन पहुंचे। प्रधानमंत्री की उक्त टिप्पणी को हाल में जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और स्वीडन में हुए आतंकी हमलों के परिप्रेक्ष्य में अहम माना जा रहा है। यूरोप में सबसे ताजा आतंकी हमला मानचेस्टर में एक कंसर्ट के दौरान हुआ था जिसमें आत्मघाती हमलावर ने खुद को बम से उड़ा लिया था। इस वारदात में 22 लोग मारे गए थे।

जर्मनी के प्रमुख आर्थिक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री ने कहा, 'हम दुनिया में संरक्षणवाद और अप्रवास विरोधी भावनाओं से चिंतित हैं। हमें उम्मीद है कि इस पर ध्यान दिया जाएगा। हम आपस में जुड़ी हुई दुनिया में रहते हैं। वैश्वीकरण का लाभ उठाने और सामूहिक प्रगति के लिए वस्तुओं, पूंजी और लोगों का सीमाओं के पार आवागमन बेहद जरूरी है।' मोदी ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में भी सुधार का आह्वान किया जिसमें वर्तमान वैश्विक वास्तविकताएं परिलक्षित होती हों, न कि ऐसा निकाय जो विश्व युद्ध के बाद बनाया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा, 'पिछले कुछ समय से भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग कर रहा है.. सुरक्षा परिषद का तुरंत विस्तार किए जाने की जरूरत है।' उन्होंने जोड़ा कि भारत के पास विस्तारित सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की पूरी योग्यता है।

भारत-जर्मन संबंधों पर मोदी ने कहा कि मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, क्लीन इंडिया और स्मार्ट सिटीज जैसे राष्ट्रीय महत्व के कार्यक्रमों में भारत जर्मनी को अहम साझीदार के तौर पर देखता है। भारत ज्यादा से ज्यादा जर्मन कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित करने के अलावा द्विपक्षीय रिश्तों को भी सुधारने का इच्छुक है। मालूम हो कि मोदी की यह यात्रा जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के उस बयान के एक दिन बाद हो रही है, जिसमें मर्केल ने अमेरिका और ब्रिटेन को यह कहकर चौंका दिया था कि 'वो समय अब बीत चुका है जब हम दूसरों पर पूरी तरह आश्रित रहते थे। अब हम यूरोपीय लोगों को अपनी तकदीर अपने हाथों में ले लेनी चाहिए।' उनके इस बयान का यही अर्थ निकाला जा रहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका और बे्रक्जिट वोट के बाद ब्रिटेन अब विश्वसनीय साझीदार नहीं रह गए हैं।

हालांकि, मर्केल ने अपने बयान में अमेरिका और ब्रिटेन से दोस्ती बनाए रखने की बात भी कही थी। इसी हफ्ते चीनी प्रधानमंत्री ली कछ्यांग ने भी जर्मनी की यात्रा की थी। मर्केल के उक्त बयान के परिप्रेक्ष्य में एशिया की दो उभरती हुई शक्तियों के नेताओं के आगमन से इस चर्चा को बल मिला है कि जर्मनी में अब पूरब का दखल बढ़ रहा है। मोदी ने साक्षात्कार के दौरान कहा भी, 'मैं भविष्य की साझेदारी के प्रति काफी आशान्वित हूं।'

दरअसल, चीन और भारत में मर्केल को जलवायु परिवर्तन की रफ्तार थामने में मदद और मुक्त व्यापार को बढ़ावा मिलने की संभावना दिखाई पड़ रही है। क्योंकि इससे पहले जी-7 देशों के सम्मेलन में पेरिस जलवायु समझौते पर मर्केल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन हासिल करने में असफल रही थीं।

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