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कराची की घेराबंदी, पाकिस्तान में तख्तापलट की तैयारी

पाकिस्तान में सेना नए 'तख्तापलट' की ओर बढ़ रही है। सेना ने कराची की घेराबंदी शुरू कर दी है। हालांकि इस बार सेना का अंदाज बदला हुआ है और सीधे संघीय सरकार निशाने पर नहीं है। आर्थिक राजधानी कराची पर नियंत्रण स्थापति कर सेना दबदबा बढ़ाना चाहती है। इससे प्रधानमंत्री

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2015 04:47 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2015 10:40 AM (IST)
कराची की घेराबंदी, पाकिस्तान में तख्तापलट की तैयारी

इस्लामाबाद । पाकिस्तान में सेना नए 'तख्तापलट' की ओर बढ़ रही है। सेना ने कराची की घेराबंदी शुरू कर दी है। हालांकि इस बार सेना का अंदाज बदला हुआ है और सीधे संघीय सरकार निशाने पर नहीं है। आर्थिक राजधानी कराची पर नियंत्रण स्थापति कर सेना दबदबा बढ़ाना चाहती है। इससे प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के लिए आने वाले दिनों में नई मुसीबत खड़ी हो सकती है।

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आइएसआइ प्रमुख कर रहे नेतृत्व

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ के प्रमुख रिजवान अख्तर कराची में अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। हाल के सालों में यह सबसे बड़ी सैन्य कार्रवाई है। अभियान का मकसद कराची को मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के प्रभाव से मुक्त कराना है। आइएसआइ प्रमुख के करीबी सरकारी अधिकारी ने बताया कि सेना धीरे-धीरे कराची में सत्ता पर नियंत्रण करने जा रही है। आने वाले दिनों में किसी भी दल को यहां शासन चलाने की इजाजत नहीं होगी।

2013 में शुरू हुआ अभियान

हत्याओं का दौर शुरू होने के बाद 2013 में कराची में सेना का अभियान शुरू हुआ था। शुरुआत में अभियान अपराधियों और आतंकियों को खत्म करने पर केंद्रित था। अब एमक्यूएम और स्थानीय पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी निशाने पर हैं। पिछले दिनों सेना ने एमक्यूएम के मुख्यालय पर छापा मारकर बड़ी संख्या में हथियार जब्त किए गए थे। एमक्यूएम का कहना है कि सेना ने राजनीतिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और उन्हें गायब करने का अभियान चला रखा है। पार्टी नेताओं के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में कम से कम 2600 कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए हैं और 36 की हत्या की गई है।

कराची क्यों?

सिंध प्रांत की राजधानी कराची पाकिस्तान का सबसे समृद्ध शहर है। यहां ज्यादा जमीन, ज्यादा व्यवसाय और संसाधन हैं। देश का आधा राजस्व यहीं से आता है। यहां स्टॉक एक्सचेंज, केंद्रीय बैंक और बहुत बड़ा बंदरगाह भी है। इस शहर पर नियंत्रण से सेना को राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति और न्यायापालिका में पकड़ मजबूत बनाने में आसानी होगी।

बैठकों से मुख्यमंत्री ही बाहर

नियमित सुरक्षा बैठकों में अब सिंध प्रांत के मुख्यमंत्री हिस्सा नहीं लेते। पहले ऐसी बैठकों की मुख्यमंत्री ही अध्यक्षता करते थे। वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक पाक रेंजर्स के प्रमुख और सिंध प्रांत में सेना के शीर्ष कमांडर सारे प्रशासनिक फैसले कर रहे हैं। इस कार्रवाई को लेकर पुलिस और हिंसा से त्रस्त लोगों की सहानुभूति भी सेना को मिल रही है।

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