भारत की कार्रवाई से बौखलाया पाक, भारतीय अधिकारी को देश छोड़ने को कहा
आतंकियों के खिलाफ पाकिस्तान कार्रवाई नहीं करता है। उसे सबूतों की जरूरत होती है। जब उसे सबूत दिए जाते हैं तो वो बदले की कार्रवाई पर उतर आता है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। आतंकियों पर लगाम लगाने में पाकिस्तान नाकाम है। पाक की फौज और हुक्मराम बेशर्मी के साथ सबूतों को मानने से इनकार कर देते हैं जिससे उनके नापाक इरादों की जानकारी सामने आती है। इसमें शक नहीं है कि पाक की जमीन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं हो रहा है। लेकिन बदले की कार्रवाई में पाक का जवाब नहीं है। जासूसी के मामले में पुख्ता जानकारी मिलने के बाद जब भारत ने पाक उच्चायोग में तैनात महमूद अख्तर को भारत छोड़ने का फरमान सुनाया तो पाकिस्तान ने भी बदले की कार्रवाई की।भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान की इस कार्रवाई की निंदा की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि पाकिस्तान की तरफ से कोई पुख्ता वजह नहीं बतायी गई है।
No justification provided by Pak except completely baseless allegations that his activities were not in keeping with diplomatic norms: MEA pic.twitter.com/diRuYDs7qA
— ANI (@ANI_news) October 28, 2016
पाक ने की बदले की कार्रवाई
इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग में तैनात अधिकारी सुरजीत सिंह को पाकिस्तान की सरकार ने देश छोड़ देने को कहा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया, जिसमें भारतीय उच्चायुक्त से कहा गया कि पाक सरकार ने सुरजीत सिंह को अयोग्य घोषित किया है। पाक के विदेश सचिव ने भारतीय अधिकारी की गतिविधियों पर गहरी चिंता जाहिर की है और इसे वियना समझौते और कूटनीतिक नियमों के खिलाफ बताया है। भारतीय उच्चायोग से कहा गया है कि वो सुरजीत सिंह और उनके परिवार को 29 अक्टूबर तक वापस भेज दें। पाकिस्तान द्वारा ये कार्रवाई भारत में पाकिस्तान उच्चायोग पर लगे जासूसी के आरोपों के बाद की गई है।
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पाक उच्चायोग बना साजिश का अड्डा
नई दिल्ली में पाक उच्चायोग के वीजा सेक्शन में तैनात महमूद अख्तर को दिल्ली पुलिस ने खुफिया दस्तावेजों के साथ पकड़ा है। महमूद के साथ मौलाना रमजान, सुभाष जांगिड़ के अलावा जोधपुर से शोएब नाम का वीजा एजेंट भी पकड़ा गया है। पुलिस से बचने के लिए अख्तर ने फर्जी आधार कार्ड भी पेश किया।
डिप्लोमैटिक इम्यूनिटी की वजह से महमूद अख्तर की गिरफ्तारी संभव नहीं है। लिहाजा उसे भारत छोड़ने को कह दिया गया है। महबूब तो भारतीय एजेंसियों के चंगुल से छूट गया लेकिन क्राइम ब्रांच के रडार पर पाकिस्तानी हाईकमीशन के अभी पांच और अफसर हैं जो इस जासूसी रैकेट से जुड़े हो सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली क्राइम ब्रांच को इस बात का भी पता लगा है कि इस जासूसी रैकेट में लड़कियों की भी भर्ती की गई थी ताकि वो सेना के अधिकारियों को हनी ट्रैप में फंसाकर जानकारी जुटा सकें।
क्या थी महमूद अख्तर की योजना ?
महमूद अख्तर ने पाक उच्चायोग में रहकर जासूसी का जाल बिछाया। जाल में सबसे पहले जोधपुर का वीजा एजेंट शोएब फंसा। इसी शोएब ने जोधपुर से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर नागौर के दो लोगों को पैसों का लालच देकर फंसाया। सूत्रों के मुताबिक महमूद अख्तर का प्लान भारत में जासूसों की बहाली करके सीमा पर सैनिकों की मूवमेंट की जानकारी जुटाना था और कम तैनाती वाली जगहों की निशानदेही करके पीओके में बैठे आतंकियों को भारत में दाखिल कराना था। अख्तर पाकिस्तानी सेना की 40वीं बलूच रेजीमेंट में हवलदार था। करीब 3 साल पहले आईएसआई ने उसे रिक्रूट किया और ट्रेनिंग दी। उसे साजिश के तहत दिल्ली में पाक हाई कमीशन के वीजा सेक्शन में भेजा गया।
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अमेरिका ने क्या कहा
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन किरबी ने कहा कि ये संप्रभु देशों का मामला है। इस मामले में अमेरिका का लेना-देना नहीं हैं। सरकारें अपनी जरूरतों के मुताबिक फैसला करती हैं। पाकिस्तान और भारत को मिलजुल कर विवादित मुद्दों को सुलझाने की जरूरत है।