ओबामा का ट्रंप की नीतियों पर परोक्ष वार, कहा- ख़तरे में अमेरिका का लोकतंत्र
बराक ओबामा ने अपने विदाई भाषण में हर किसी को भावुक कर दिया। इस दौरान उनकी आंखे कई बार भरीं। पत्नी मिशेल ओबामा और बेटियां भी आंसू नहीं रोक पाईं।
शिकागो, रायटर/प्रेट्र : अमेरिका के 44 वें राष्ट्रपति के रूप में अपना आठ साल का कार्यकाल खत्म करने से दस दिन पूर्व अपने आखिरी सार्वजनिक भाषण में बराक ओबामा बहुत कुछ कह गए। उन्होंने महाशक्ति के जिम्मेदारियों के बारे में बताया तो अमेरिका को महाशक्ति बनाने वाले कारकों का भी वर्णन किया। राजनीतिक वातावरण में पनप रहे भेदभावों के प्रति लोगों को चेताया, कहा- एकजुटता ही अमेरिका की ताकत है।
अमेरिकी समाज की मजबूती के कारकों की चर्चा करते हुए ओबामा सुदृढ़ परिवार की ताकत पर आए। मिशेल के सहयोग को अमूल्य बताया। भावुक होकर कहा-वह न होतीं तो मैं यहां न खड़ा होता। अपने गृहनगर शिकागो में बीस हजार समर्थकों के बीच ओबामा ने कहा, आशावादी रुख बनाए रखें और अपने भीतर के नेतृत्वकर्ता वाले गुण जगाएं। मेरे गुणों से बदलाव की अपेक्षा न करें बल्कि खुद में वह बात पैदा करें जिससे बदलाव आए। संविधान पर आस्था बनाए रखते हुए आगे बढ़ें। इसी के साथ ओबामा ने आठ साल पहले चुनाव के दौर का अपना प्रचलित नारा दोहराया- येस वी डिड, येस वी कैन..।
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अपने 55 मिनट के भाषण में ओबामा ने नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों से बने माहौल की ओर इशारा करते हुए कहा, लोकतंत्र पर खतरा मंडरा रहा है। लोकतंत्र तभी कमजोर पड़ता है जब हम भय के बीच जीने लगते हैं। इसलिए किसी भी बाहरी आक्रमण के प्रति लोग सचेत रहें। हमें अपनी कमजोरियों से उबरकर अपने मूल्यों की रक्षा करनी है।
ओबामा ने कहा कि मुस्लिमों के बारे में कही जा रही बातें गलत हैं। अमेरिका में रहने वाले मुस्लिम भी हमारे जितने ही देशभक्त हैं। उन पर किसी तरह का शक करना गलत है। इसी तरह से महिलाओं और समलैंगिकों इत्यादि के बारे में दुराभाव रखना भी गलत है।
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अपने चुनाव की चर्चा करते हुए ओबामा ने कहा कि तब विभाजनकारी ताकतें अमेरिका में अश्वेत राष्ट्रपति का लोगों को भय दिखाती थीं। लेकिन उनके चुने जाने के बाद वह भय खत्म हो गया। समाज में ज्यादा एकजुटता और मजबूती आई। वैसा कुछ नहीं हुआ-जिसके लिए देश को डराया जाता था। ओबामा अमेरिका के पहले अफ्रीकी मूल के अश्वेत राष्ट्रपति हैं।