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आर्मी स्‍कूल पेशावर की कक्षा नौ में सिर्फ एक छात्र बचा

आर्मी पब्लिक स्कूल (फौजी फाउंडेशन) में नरसंहार के अगले दिन आतंकी कहर के निशान बिखरे पड़े हैं। खून से भीगे सभागार, टूटे हुए ज्यामितीय बक्से, फटी हुईं किताबें और रौंदे हुए जूतों को देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि आतंकियों ने मंगलवार को किस तरह से खूनी खेल खेला

By manoj yadavEdited By: Published: Wed, 17 Dec 2014 09:59 PM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 12:16 AM (IST)
आर्मी स्‍कूल पेशावर की कक्षा नौ में सिर्फ एक छात्र बचा

पेशावर। आर्मी पब्लिक स्कूल (फौजी फाउंडेशन) में नरसंहार के अगले दिन आतंकी कहर के निशान बिखरे पड़े हैं। खून से भीगे सभागार, टूटे हुए ज्यामितीय बक्से, फटी हुईं किताबें और रौंदे हुए जूतों को देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि आतंकियों ने मंगलवार को किस तरह से खूनी खेल खेला होगा।

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स्कूल को मीडिया के लिए खोल दिया गया है। जगह-जगह बिखरे खून के धब्बों से पता चलता है कि बच्चों ने भागने की भरपूर कोशिश की होगी, लेकिन तालिबानियों की गोलीबारी से नहीं बच पाए।

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने कक्षा नौ के सभी छात्रों को भून डाला, लेकिन ऊपर वाले ने 15 साल के दाऊद इब्राहिम की जिंदगी बख्श दी। सोमवार की रात दाऊद एक शादी समारोह में गया था। मंगलवार को देर तक सोता रह गया। अचानक घड़ी खराब हो गई।

सुबह में अलार्म नहीं बजा तो स्कूल जाने से रह गया। अब अपने दोस्तों को आखिरी विदाई देने के लिए वह बचा रह गया है। बुधवार को दिनभर वह अपने दोस्तों के जनाजे में शामिल होता रहा। परिजनों के मुताबिक, छह करीबी दोस्तों को दफनाने के बाद से इब्राहिम चुप है। किसी से बात नहीं कर रहा। उसकी आंखों से आंसू गायब हैं। सिर्फ दर्द छलक रहा है।

दाऊद के बड़े भाई सुफयान इब्राहिम ने पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून से कहा, "उसकी तकदीर अच्छी थी। उसके क्लास का कोई नहीं बचा। आतंकियों ने एक-एक को चुन-चुनकर मार डाला।" सुफयान की मानें तो जूडो सीख रहा दाऊद दिमागी तौर पर बेहद मजबूत है, लेकिन अब तक उसने अपनी भावनाओं को छिपा रखा है।

दाऊद की चुप्पी की चर्चा पाकिस्तान के सोशल मीडिया में भी है। माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर किसी ने लिखा है, "एक अलार्म की चुप्पी ने दाऊद की जिंदगी बचा ली और अब दाऊद की चुप्पी से बहुत लोगों को जागना होगा।"

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