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भारत की ओर से नाकेबंदी नहीं, नेपाल में मधेसी विरोधः अंजू रंजन

भारतीय महावाणिज्य दूतावास अंजू रंजन ने रविवार को कहा है कि भारत की ओर से कोई नाकेबंदी नहीं की गई है। नेपाल में मधेसी विरोध है।

By Sachin kEdited By: Published: Sun, 04 Oct 2015 02:03 PM (IST)Updated: Sun, 04 Oct 2015 02:23 PM (IST)
भारत की ओर से नाकेबंदी नहीं, नेपाल में मधेसी विरोधः अंजू रंजन

नई दिल्ली। भारतीय महावाणिज्य दूतावास अंजू रंजन ने रविवार को कहा है कि भारत की ओर से कोई नाकेबंदी नहीं की गई है। नेपाल में मधेसी विरोध है।

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सूत्रों के मुताबिक, 65 साल बाद नेपाल में संविधान लागू होने से मचे बवाल के बीच नेपाली नागरिक भारत से खासे खफा हैं। उनके मुताबिक, भारत ने मधेशी आंदोलन को समर्थन देने के लिए सरहदों पर अघोषित नाकेबंदी कर नेपाल पर दबाव बनाने का प्रयास किया है।

वहीं, सीमा पर व्यापार गतिरोध को लेकर भारत के खिलाफ तल्ख बयानबाजी करने के बाद नेपाल ने यह मामला संयुक्त राष्ट्र में भी उठा दिया है। यह पहला मौका है, जब इस पर्वतीय राष्ट्र ने किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत विरोधी रुख अपनाया है। नेपाल के उप प्रधानमंत्री प्रकाश मान सिंह ने महासचिव बान की मून से मिलकर भारत पर नाकेबंदी का आरोप लगाया और कहा कि इससे उनके यहां आवश्यक वस्तुओं की किल्लत हो गई है। सूत्रों के अनुसार, मून ने भी नेपाल को हो रही परेशानी पर चिंता जताई।

इससे पहले शुक्रवार को नेपाली उप प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी इशारों-इशारों में भारत पर निशाना साधा था। उन्होंने विश्व समुदाय से अनुरोध किया था कि स्थल सीमा से घिरे विकासशील देशों को समुद्र तक निर्बाध पहुंच की सुविधा मिलनी चाहिए। उन्होंने इसके लिए वियना कार्ययोजना को प्रभावकारी तरीके से लागू किए जाने की मांग की थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि ऐसे देशों को सीमावर्ती देशों में आवाजाही की बिना शर्त और निर्बाध आजादी मिलनी चाहिए।

सिंह की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है, जब नेपाल नया संविधान लागू होने के बाद भारत पर अघोषित नाकेबंदी का आरोप लगा रहा है। इसका का कहना है कि ट्रेड प्वाइंट बंद किए जाने से उसके यहां रसोई गैस और जरूरी सामानों की किल्लत हो गई है। इसी शुक्रवार को प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने भी भारत से नाकेबंदी खत्म कर सीमा पर कारोबार सामान्य करने का अनुरोध किया था। दूसरी तरफ, नेपाल के आरोपों को भारत पूरी तरह बेबुनियाद बता रहा है। उसका कहना है कि सीमा पर ट्रेड प्वाइंट को बंद करने की बात गलत है। भारत के अनुसार, वह सामान को सिर्फ सरहद तक पहुंचा सकता है। इसके बाद इसे सुरक्षित रूप से ले जाने की जवाबदेही नेपाल के अधिकारियों की है।

गौरतलब है कि पर्वतीय देश में नया संविधान लागू होने के बाद से इसका जोरदार विरोध शुरू हो गया है। तराई इलाकों में रहने वाले मधेशी अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए सड़कों पर उतर आए हैं। इसके चलते नेपाल का भारत के साथ व्यापार भी प्रभावित हुआ है। मधेशी आंदोलन के चलते पिछले कई दिनों से सामान से लदे भारतीय ट्रक नेपाल नहीं जा रहे हैं।

बान की मून ने नेपाल में नया संविधान लागू किए जाने का स्वागत किया है। उनके कार्यालय द्वारा शनिवार को जारी बयान में कहा गया है कि इसके लिए उन्होंने यहां की सरकार और जनता को बधाई दी है। इसके साथ ही उन्होंने आंदोलन कर रहे मधेशी समेत अन्य जातीय समूहों के साथ बातचीत करने के सरकार के प्रस्ताव का भी स्वागत किया है। मून ने सभी राजनीतिक दलों से सरकार के प्रस्ताव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देने और अपने मतभेदों को बातचीत के जरिये सुलझाने का अनुरोध किया है।

पढ़ेंः नेपाल की अशांति


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