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नेताजी का डेप्युटी व नेहरू का साथी था रूस का जासूस!

एक ब्रिटिश दस्तावेज में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के डेप्युटी व भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के पुराने दोस्त और भारतीय राजदूत रहे एसीएन नांबियार को सोवियत संघ का जासूस बताया गया है।

By Sudhir JhaEdited By: Published: Sat, 25 Oct 2014 06:31 PM (IST)Updated: Sat, 25 Oct 2014 06:32 PM (IST)
नेताजी का डेप्युटी व नेहरू का साथी था रूस का जासूस!

लंदन। एक ब्रिटिश दस्तावेज में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के डेप्युटी व भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के पुराने दोस्त और भारतीय राजदूत रहे एसीएन नांबियार को सोवियत संघ का जासूस बताया गया है।

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30 साल की समयसीमा पूरे हो जाने पर जारी नेशनल आर्काइव्स के दस्तावेजों के मुताबिक नांबियार 1924 में पत्रकार के तौर पर बर्लिन गए थे और वहां उन्होंने भारतीय कम्यूनिस्ट समूह के साथ काम किया। 1929 में वह मेहमान के तौर पर मॉस्को गए।

आर्काइव्स की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दूसरा विश्व युद्ध शुरू होने पर नांबियार को जर्मनी से निष्कासित कर दिया गया। बाद में नेताजी के साथ वह बर्लिन लौटे। जब नेताजी जापान के साथ युद्ध लड़ने के लिए चले गए तो नांबियार यूरोप में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता बन गए, जिसका खर्च जर्मनी उठा रहा था।

इस बयान के मुताबिक नांबियार भारतीय युद्ध बंदियों के उस समूह से भी जुड़े थे जिसे 1944 में हिटलर के बनाए सैन्य संगठन एसएस ने कब्जा लिया। जून 1945 में अराथिनल कैंडेथ नारायण नांबियार को ऑस्ट्रिया में गिरफ्तार किया गया और नाजी सहयोगी के तौर पर उनसे पूछताछ हुई। युद्ध के बाद उन्होंने स्कैंडेनेविया और पश्चिमी जर्मनी में भारतीय राजदूत के तौर पर काम किया। फिर वह यूरोप में हिंदुस्तान टाइम्स के संवाददाता के तौर पर काम करते रहे। दस्तावेजों में दावा किया गया कि नाम्बियार को औद्योगिक खुफिया गतिविधियों को कवर करने के लिए तैनात किया गया था। ब्रिटिश दस्तावेजों में यूरोप और जर्मनी में नेताजी की आजाद हिंद से संबंधित गतिविधियों के नाम एवं विवरण शामिल हैं। दस्तोवजों में उन पत्रों की प्रतियां भी हैं जो नाम्बियार ने बोस को लिखे थे। ये पत्र जर्मनी की पनडुब्बी यू-बोट 234 से बरामद किए गए थे।

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