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नेपाली सेना ने संभाली राहत की कमान

नेपाल सरकार के निर्देश के बाद वहां से विदेशी बचाव दलों की वापसी के बीच मंगलवार को हजारों की संख्या में नेपाली पुलिस और सेना ने राहत व बचाव कार्यो की कमान अपने हाथ में ले ली। इस बीच देश के कुछ हिस्सों में फिर चार की तीव्रता वाले हल्के

By Murari sharanEdited By: Published: Tue, 05 May 2015 09:00 PM (IST)Updated: Tue, 05 May 2015 09:34 PM (IST)
नेपाली सेना ने संभाली राहत की कमान

काठमांडू। नेपाल सरकार के निर्देश के बाद वहां से विदेशी बचाव दलों की वापसी के बीच मंगलवार को हजारों की संख्या में नेपाली पुलिस और सेना ने राहत व बचाव कार्यो की कमान अपने हाथ में ले ली। इस बीच देश के कुछ हिस्सों में फिर चार की तीव्रता वाले हल्के भूकंप के झटके महसूस किए गए। आपदा में मरने वालों की संख्या साढ़े सात हजार के पार हो गई है।

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भारत समेत 34 देशों के बचाव दलों को नेपाल सरकार की ओर से वापसी का निर्देश मिलने के अगले दिन 1,31,500 नेपाली सैनिकों और पुलिस कर्मियों ने विभिन्न हिस्सों में मोर्चा संभाला। सरकार के निर्देश के बाद 500 से ज्यादा बचाव कर्मियों वाले 11 दल नेपाल से रवाना हो चुके हैं।

भारत के एनडीआरएफ की 16 में से सात टुकडि़यां नेपाल से वापस बुला ली गई हैं। शेष नौ टुकडि़यां एक-दो दिन में वापसी करेंगी। नेपाली सेना के प्रवक्ता जगदीश पोखरेल ने बताया कि विदेशी बचाव दल नेपाल से क्रमवार तरीके से वापस जाएंगे। नेपाल में भूकंप के बाद से करीब 4,500 विदेशी बचावकर्मी मदद में लगे हैं।

भीषण आपदा में अब तक 7,557 लोगों के मरने की पुष्टि हुई है जबकि 14,536 लोग घायल हैं। भूकंप से 1,91,058 घर और 10,744 सरकारी इमारतें ध्वस्त हो गई हैं। नेपाल सरकार ने कहा कि अब मुख्य लक्ष्य राहत कार्य हैं, ऐसे में विदेशी बचाव दलों की भूमिका कम हो गई है।

सरकार ने कहा कि फिलहाल केवल बचाव दल नेपाल से जाएंगे, राहत कार्यो में लगे लोग नहीं। भारत और अमेरिका समेत कई देशों की वायुसेनाएं प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री की आपूर्ति में लगी हैं। कई देशों ने वहां अस्थायी चिकित्सा शिविर स्थापित किए हैं। इन सभी कम से कम दो और हफ्ते तक सेवा देने की अपील की गई है।

इस बीच, नेपाली प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने गोरखा जिले के बरपाक में भूकंप प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने भविष्य में आपदाओं से निपटने के लिए अलग मंत्रालय के गठन का संकेत भी दिया। कोइराला ने कहा कि टेंट और खाद्य सामग्रियों की मांग को देखते हुए सरकार पड़ोसी देशों से लगातार संपर्क में है।

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