आपदा में मदद करेगा नासा का 'बंदर'
आपदा के दौरान बचाव के कामों में मदद के लिए नासा के शोधकर्ताओं ने एक रोबोट बनाया है। 'बंदर' की तरह दिखने वाला यह रोबोट खतरनाक परिस्थितियों में काम कर सकता है। जिंदा बचे लोगों को मलबे से निकालने जैसा जटिल कार्य करने में भी यह सक्षम है।
वाशिंगटन। आपदा के दौरान बचाव के कामों में मदद के लिए नासा के शोधकर्ताओं ने एक रोबोट बनाया है। 'बंदर' की तरह दिखने वाला यह रोबोट खतरनाक परिस्थितियों में काम कर सकता है। जिंदा बचे लोगों को मलबे से निकालने जैसा जटिल कार्य करने में भी यह सक्षम है।
बनावटः
इस रोबोट को नासा के जेट प्रोपल्सन लेबोरेटरी (जेपीएल) ने तैयार किया है। बिना सिर वाले रोबोट में सात कैमरे लगे हैं, जो 'आंख' का काम करते हैं। एक जैसे चार छोर हैं, जो हाथ-पैर की तरह काम करते हैं। पहिए लगे हुए हैं, जिससे काफी चिकनी सतह पर भी यह आसानी से चल सकता है।
खासियतः
यह खुरदरी सतह व मलबे के बीच चलने में सक्षम है। सामान भी उठा सकता है।
कमजोरीः
इसकी गति काफी कम है। इसे बढ़ाने के लिए जेपीएल की टीम कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के साथ मिलकर काम कर रही है।
अंतिम परीक्षाः
27 महीने लंबे डारपा रोबोटिक्स चैलेंज में जेपीएल का यह रोबोट भी अपनी हुनर दिखा रहा है। फाइनल जून में कैलिफोर्निया में होगा। बंदर जैसे इस रोबोट के अलावा 18 अन्य रोबोट भी फाइनल का हिस्सा होंगे।
डारपाः
अमेरिकी रक्षा विभाग के अधीन है, उन्नत रक्षा अनुसंधान प्रोजेक्ट एजेंसी (डारपा)। यह सेना की क्षमता बढ़ाने वाले तकनीकों को विकसित करने का काम करती है। 1958 में इसका गठन किया गया था। आपदा की स्थिति में बिना मानवीय नियंत्रण के काम करने वाले रोबोट के लिए तकनीक विकसित करने के मकसद से डारपा ने रोबोटिक्स चैलेंज-2015 का आयोजन किया है।
चुनौतीः
फाइनल में शामिल रोबोट को बिना मानवीय नियंत्रण के कार चलाना, मलबे से लोगों को निकालना व सीढि़यों पर चढ़ने जैसे काम करने होंगे।
परिणामः
माना जा रहा है कि इस प्रतियोगिता का विजेता रोबोट परमाणु दुर्घटना जैसी स्थितियों में भी काम करने में सक्षम होगा। ऐसी स्थिति में आबोहवा बचाव कर्मियों के लिए खतरनाक होती है। विजेता टीम को दो मिलियन अमेरिकी डॉलर पुरस्कार के रूप में मिलेगा।
जेपीएलः
जेपीएल को अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए रोबोट बनाने में महारत हासिल है। मार्स रोवर को भी जेपीएल ने ही विकसित किया है।