आइएस की यौन गुलाम रहीं यजीदी महिलाओं को मिला पुरस्कार
नादिया मुराद और लामिया अजी बशर को यूरोपीय संसद ने गुरुवार को प्रतिष्ठित सखारोव पुरस्कार से सम्मानित किया।
ब्रसेल्स, रायटर। इराकी मूल की यजीदी महिलाओं- नादिया मुराद (23) और लामिया अजी बशर (18) को यूरोपीय संसद ने गुरुवार को प्रतिष्ठित सखारोव पुरस्कार से सम्मानित किया। दोनों महिलाओं का अपहरण करके इस्लामिक स्टेट (आइएस) के आतंकियों ने उन्हें यौन गुलाम बना रखा था। मुक्त होने के बाद से वे मानवाधिकारों के लिए काम कर रही हैं।
इराक के उत्तर-पश्चिमी इलाके में सिंजर और उसके आसपास रहने वाले यजीदी समुदाय की हजारों महिलाओं-लड़कियों का अपहरण करके आतंकियों ने उन पर दिल दहलाने वाले अत्याचार किए और उन्हें यौन गुलाम बनाकर रखा। यजीदी एक अलग समुदाय है जिन्हें कट्टरपंथी सुन्नी दानवों की पूजा करने वाला मानते हैं। इसी मान्यता के चलते आइएस आतंकियों ने 2014 में यजीदी समुदाय के पुरुषों को मार डाला, जबकि महिलाओं को यौन गुलाम बनाकर रखा। इन्हीं महिलाओं में नादिया और लामिया थीं।
आइएस की कैद से भागी नादिया जैसे-तैसे जर्मनी पहुंची। बाद में उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को आपबीती सुनाई। यजीदी समुदाय पर अत्याचार की दास्तां सुनाई। लामिया की दास्तां भी कम दर्दनाक नहीं है। वह एक हाथ से दूसरे हाथ होती हुई जब जहां-तहां जा रही थी, तभी हुए एक विस्फोट में उसकी एक आंख चली गई। वह अब जर्मनी में रह रही है और बीती बातों को भुलाने की कोशिश कर रही है। संयुक्त राष्ट्र की जांच में पता चला है कि आतंकियों ने इराक और सीरिया में यजीदी समुदाय के चार लाख लोगों को निशाना बनाया। ज्यादातर पुरुषों की हत्या कर दी जबकि महिलाओं को यौन गुलाम बनाया। सखारोव पुरस्कार रूसी क्रांतिकारी वैज्ञानिक आंद्रेई सखारोव के नाम पर दिया जाता है।