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मोदी-ओबामा के बीच हॉटलाइन शुरू, अब गोपनीय रहेंगी बात

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा समेत दोनों देशों के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच सीधी वार्ता के हॉट लाइन की औपचारिक शुरू हो गई है। हालांकि अभी तक इसका इस्‍तेमाल नहीं किया गया है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति के स्‍पेशल असिसटेंट और दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2015 08:38 AM (IST)Updated: Sat, 22 Aug 2015 12:34 AM (IST)
मोदी-ओबामा के बीच हॉटलाइन शुरू, अब गोपनीय रहेंगी बात

वाशिंगटन। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा समेत दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच सीधी वार्ता के हॉट लाइन की औपचारिक शुरू हो गई है। हालांकि अभी तक इसका इस्तेमाल नहीं किया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति के स्पेशल असिसटेंट और दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ पीटर आर लावॉए के मुताबिक दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच बातचीत के सुरक्षित माध्यम के तौर पर इसको हाल ही में तैयार किया गया है। इस बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति की एतिहासिक भारत यात्रा के समय दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच बातचीत और सहमति हुई थी।

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लावॉय ने कहा कि दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच समय-समय पर विभिन्न गंभीर मुद्दों पर होने वाली बातचीत को गोपनीय बनाए रखने में हॉटलाइन कारगर तरीका है। इसके जरिए दोनों नेता अपनी बात को बेहिचक दूसरे तक पहुंचा पाएंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस हॉटलाइन का उपयोग न सिर्फ विचारों के आदान-प्रदान को लेकर होगा बल्कि यह सेवा कई तरह की समस्याओं को खत्म करने में भी उपयोगी साबित होगी।

उन्होंने भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के बीच वार्ता सफल रहने की भी उम्मीद जताई है। राष्ट्रपति के विशेष सहायक एवं व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में दक्षिण एशियाई मामलों के वरिष्ठ निदेशक पीटर आर लावॉय ने कहा है कि एनएसए ‘विवादित’ कश्मीर सहित सभी द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा करके उनके समाधान के लिए साझा रूख तैयार करेंगे।

उन्होंने कहा कि भारत-पाक के बीच किसी भी मुद्दे के समाधान के लिए अमेरिका शांतिपूर्ण बातचीत का समर्थन करता है। हमें उम्मीद है कि दोनों देश अत्यंत सफल वार्ता करेंगे और उनके बीच राजनीतिक वार्ता चलती रहेगी। लावॉय ने कहा कि अमेरिका का मानना है कि सीमाओं या नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी के बजाय बातचीत ही सर्वश्रेष्ठ जरिया है।

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