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बुद्ध के देश से विश्व को नहीं हो सकता खतरा: मोदी

अपने पांच दिवसीय जापान दौरे के आखिरी दिन मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे फार्म में दिखे। खांटी ¨हदी में विश्व को वसुधैव कुटुंबकम् का पाठ पढ़ाने के साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत की बदलती तस्वीर से भी रूबरू कराया। संपेरों का देश होने संबंधी पाश्चात्य धारणा पर चुटकी लेते हुए पीएम का कहना था, 'पहले हम सांप से खेलते थे। अब हम कंप्यूटर माउस से खेलते हैं।'

By Edited By: Published: Tue, 02 Sep 2014 09:36 AM (IST)Updated: Tue, 02 Sep 2014 09:39 PM (IST)
बुद्ध के देश से विश्व को नहीं हो सकता खतरा: मोदी

टोक्यो। अपने पांच दिवसीय जापान दौरे के आखिरी दिन मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे फार्म में दिखे। खांटी ¨हदी में विश्व को वसुधैव कुटुंबकम् का पाठ पढ़ाने के साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत की बदलती तस्वीर से भी रूबरू कराया। संपेरों का देश होने संबंधी पाश्चात्य धारणा पर चुटकी लेते हुए पीएम का कहना था, 'पहले हम सांप से खेलते थे। अब हम कंप्यूटर माउस से खेलते हैं।'

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जापानी उद्यमियों को निर्भय होकर निवेश करने का न्योता देते हुए मोदी ने आश्वस्त किया, 'भारत में अब लालफीताशाही के दिन लद गए हैं। पिछले सौ दिनों में व्यापार और तरक्की की राह में रोड़ा बनने वाले 55 फीसद प्रावधानों को कानूनी व्यवस्था के दायरे से बाहर कर दिया गया है।' उन्होंने कहा, 'सिर्फ 100 दिन में जीडीपी 4.6 से 5.7 प्रतिशत पर पहुंच गया है। पीएम ने भरोसा दिलाया कि एक व्यापारी के लिए जैसा माहौल चाहिए, मौजूदा समय में वह भारत में उपलब्ध है। व्यवधान पैदा करने वाले कानूनों को शिथिल कर ऐसी उदार व्यवस्था बनाई गई है, जिससे व्यापार और निवेश करने में कोई समस्या न खड़ी हो सके।

मोदी के अनुसार दुनिया में ऐसी कोई जगह नहीं, जहां एक ही जगह सारी चीजें मिल जाएं। भारत के पास डेमोक्रेसी, डेमोग्राफी और डिमांड तीनों हैं। भारत में लोकतंत्र है, मांग है और 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है।

इसके अलावा टोक्यो के सैकरेड हार्ट यूनिवर्सिटी में आयोजित कार्यक्रम में मोदी छात्रों से सीधे मुखातिब हुए। यहां से उन्होंने एक प्रोफेसर की तरह विश्व समुदाय को भारतीय संस्कृति और दर्शन का ज्ञान कराया। परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने को लेकर अंतरराष्ट्रीय विरादरी की आशंकाओं को मोदी ने निर्मूल साबित कर दिया।

एक छात्र के इस बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए पीएम ने कहा, 'शांति, अ¨हसा हमारे डीएनए में है। भारत बुद्ध का देश है। हम वसुधैव कुटुंबकम की नीति का हजारों वर्षो से पालन कर रहे हैं। भला पूरे विश्व को अपना परिवार मानने वाले भारत से किसी को क्या खतरा हो सकता है। शांति, अ¨हसा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता किसी अंतरराष्ट्रीय संधि से ऊपर है।' इस दौरान उन्होंने महिला शिक्षा की जरूरत पर भी बल दिया। जापानी छात्रों को उन्होंने बताया कि भारत एक मात्र ऐसा देश है, जहां स्त्री भगवान की कल्पना की गई है।'

उन्होंने महिलाओं की महत्ता को बड़े ही आसान तरीके से समझाया। बकौल मोदी, 'भारत में शिक्षा विभाग माता सरस्वती के पास है, जबकि मां लक्ष्मी वित्त मंत्री हैं। इसी प्रकार सुरक्षा और गृह मंत्रालय महाकाली मां के पास है। खाद्य आपूर्ति की देवी अन्नपूर्णा हैं।' जलवायु परिवर्तन को लेकर मचे विश्वव्यापी शोर पर उनका कहना था, 'यह जलवायु परिवर्तन है या फिर आदत में बदलाव।

हमारी आदतें बदल गई हैं और हम प्रकृति से लड़ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए हमें कुदरत से संवाद स्थापित करना चाहिए।' इस बारे में उन्होंने खुद अपनी कहानी सुनाई। मोदी ने बताया, 'मैं एक गरीब परिवार से हूं। एक बार मेरे चाचा ने लकड़ी का धंधा शुरू कर दिया। इस पर मेरी अनपढ़ मां ने उनसे कहा कि पेड़ों को काटना पाप है। इस कारोबार की बजाय हम भूखों मरना पसंद करेंगे।' उन्होंने बताया, 'भारत ऐसा देश हैं, जहां प्रकृति से सीधा संवाद किया जाता है। हमारे यहां धरती को मां का दर्जा दिया गया है। हम चंद्रमा को मामा कहते हैं। सूर्य और हिमालय हमारे दादा हैं और नदियों को मां के रूप में पूजते हैं। पेड़ भारत में पूजे जाते हैं।'

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