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बाजार व मुद्रा अस्थिरता के खिलाफ बने सुरक्षा कवच

भारत ने मुद्रा और शेयर बाजारों में उथल-पुथल से निपटने के लिए कवच के तौर पर ग्लोबल सेफ्टी नेट बनाने की जोरदार वकालत की है। चीन के अपनी मुद्रा युआन के अवमूल्यन करने से अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में आए झटकों के बाद इस तरह की मांग ने जोर पकड़ा है।

By Manoj YadavEdited By: Published: Sat, 05 Sep 2015 09:05 PM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2015 09:10 PM (IST)
बाजार व मुद्रा अस्थिरता के खिलाफ बने सुरक्षा कवच

अंकारा। भारत ने मुद्रा और शेयर बाजारों में उथल-पुथल से निपटने के लिए कवच के तौर पर ग्लोबल सेफ्टी नेट बनाने की जोरदार वकालत की है। चीन के अपनी मुद्रा युआन के अवमूल्यन करने से अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में आए झटकों के बाद इस तरह की मांग ने जोर पकड़ा है।

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) के अंतर्गत जी20 के सदस्य देशों के बीच मल्टीलेट्रल स्वैप अरेंजमेंट के जरिये लिक्विडिटी प्रबंधन मजबूत करने जैसे व्यवस्थित व तत्काल असर डालने वाले सेफ्टी नेट यानी सुरक्षा जाल को भी जरूरी बताया। इससे घरेलू स्तर पर होने वाली कार्रवाई के बाहर नकारात्मक रूप से फैलने की संभावनाओं को रोकने में मदद मिलेगी।

जी20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के प्रमुखों की बैठक में जेटली बोले कि बाजार और मुद्रा के उथल-पुथल के हाल के घटनाक्रमों ने दोबारा ग्लोबल सेफ्टी नेट की जरूरत का एहसास कराया है। वह मानते हैं कि व्यक्तिगत स्तर पर ऐसे घटनाक्रमों के असर को सीमित अवधि के लिए ही थाम सकते हैं, जो स्थायी समाधान नहीं है। ग्लोबल पॉलिसी कोऑर्डिनेशन के जरिये ही यह काम किया जा सकता है। ग्लोबल सेफ्टी नेट की वकालत करते हुए वित्त मंत्री ने चीन का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा चीन की ओर से युआन के अवमूल्यन के बाद ग्लोबल शेयर बाजारों में आए भूचाल के चलते भारत सहित ग्लोबल इकोनॉमी के सामने पैदा हुए संकट की तरफ था। जेटली जी-20 मीटिंग के 'फ्रेमवर्क फॉर स्ट्रांग, सस्टेनेबल एंड बैलेंस्ड ग्रोथ' सेशन में विचार प्रस्तुत कर रहे थे।

वित्त मंत्रालय ने जारी किया था बयान

गुरुवार को जब जेटली अंकारा के लिए रवाना हुए थे तब वित्त मंत्रालय ने एक बयान जारी किया था। इसमें हाल में प्रमुख मुद्राओं के अवमूल्यन को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी। दरअसल, इसके कारण एशिया की तमाम उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं की कीमत प्रभावित हुई। इसने प्रतिस्पर्धी अवमूल्यन का खतरा बढ़ा दिया। यही ग्लोबल इकोनॉमी के लिए भी चिंता का विषय है। बयान में कहा गया था कि अंकारा में स्थितियों की समीक्षा की जाएगी। साथ ही ग्लोबल सेफ्टी नेट जैसे सहयोग के उपायों पर चर्चा होगी जो घरेलू स्तर पर होने वाली कार्रवाइयों के असर को बाहर फैलने से दूसरे देशों का बचाव करेगा।

कुशल कामगारों की बढ़े आवाजाही

जेटली ने इस दौरान कुशल कामगारों की अधिक आवाजाही की भी पैरवी की। साथ ही तर्क दिया कि वस्तुओं और पूंजी का आवागमन बढ़ने से विकसित देशों को लाभ होगा, जो बूढ़ी हो रही आबादी की समस्या से रूबरू हैं। भारत विकसित देशों में उदार वीजा व्यवस्था चाहता है। इससे कुशल कामगारों के लिए एक से दूसरी जगह जाने की स्वतंत्रता को सुनिश्चित किया जा सकेगा। सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देने की दृष्टि से यह जरूरी है। देश की आर्थिक वृद्धि में सर्विस सेक्टर का करीब 60 फीसद योगदान है।


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