बड़ा ऐतिहासिक है आज का दिन, जब चांद पर उतरे थे ये दो इंसान
आज से ठीक 48 साल पहले 20 जुलाई 1969 को इंसान ने पहली बार चांद पर कदम रखा था। अब एक बार फिर इंसान को चांद पर पहुंचाने की तैयारी चल रही है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। चांद के पार जाने की बात भले ही हिन्दी फिल्मों के गानों में होती रही हो और प्रेमी भी अपनी प्रेमिका के लिए चांद तोड़कर लाने की बात करता हो। लेकिन चांद तक जाना कोई बच्चों का खेल नहीं है। आज तक के मानव इतिहास में ऐसा सिर्फ एक बार हुआ है। आज से ठीक 48 साल पहले नील आर्मस्ट्रॉन्ग नाम के अमेरिकी अंतरिक्षयात्री ने यह कारनामा किया था। 20 जुलाई 1969 को नील ने पहली बार चांद की जमीन पर कदम रखे और मून वॉक किया था।
वो ऐतिहासिक दिन...
16 जुलाई की सुबह नील आर्मस्ट्रॉन्ग व अन्य अंतरिक्ष यात्री अपोलो 11 में सवार हुए। सैटर्न-V ने सुबह 9.32 बजे कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी और सिर्फ 12 मिनट बाद अपोलो 11 धरती की कक्षा में पहुंच चुके थे। इसके तीन दिन बाद आर्मस्ट्रॉन्ग और एड्रिन चांद की धरती पर थे। दोनों अंतरिक्षयात्रियों ने करीब 2.5 घंटे चांद की जमीन पर बिताए। इस ऐतिहासिक दिन को 3.5 करोड़ लोगों ने टीवी पर देखा और रेडियो पर सुना भी। चांद की जमीन पर पहला कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने कहा था, यह मनुष्य के लिए एक छोटा कदम है और मानव जाति के लिए विशाल छलांग है। उन्होंने कहा, हम पूरी मानव सभ्यता की तरफ से चांद पर कदम रख रहे हैं। आज 48 साल हो चुके हैं, नील और एड्रिन के अलावा आज तक कोई अन्य इंसान चांद पर नहीं पहुंच सका है।
भारत भी कम नहीं
अंतरिक्ष विज्ञान में भारत भी किसी से पीछे नहीं है। दुनिया की चोटी की पांच अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक भारत की इसरो भी है। इसरो आज नासा, चीनी एजेंसी, कनाडा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ न सिर्फ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है, बल्कि मिलकर काम भी करती है। भारत के अंतरिक्ष मिशन की सफलता को इसी बात से समझा जा सकता है कि भारत ने एक ही कोशिश मंगलयान को मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचा दिया। यही नहीं भारत का चंद्रयान भी खासा सफल रहा है। भारत के चंद्रयान ने चांद पर पानी की खोज की। यही नहीं चंद्रमा पर लावा ट्यूब्स की भी खोज हुई है, जो जमीन के नीचे मिले हैं। अब भारत चंद्रयान-2 की तैयारी में जुटा है। जल्द ही इसरो मानव को अंतरिक्ष में भेजने का कारनाम भी कर दिखाएगा और वह इस दिशा में काम कर रहा है।
फिर से चांद पर उतरने की तैयारी
किसी इंसान को चांद पर गए 48 साल बीच चुके हैं। अब एक बार फिर से 4 अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर उतारने की तैयारी चल रही है। अगले साल इस मिशन का परीक्षण किया जाएगा और 2021 में इंसान को चांद पर भेजे जाने की तैयारी है। खास बात यह है कि इस मिशन के लिए नासा के साथ अब यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने भी हाथ मिलाया है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और हवाई जहाज बनाने वाली कंपनी एयरबस भी इंसान को चांद पर भेजने वाले मिशन में नासा की मदद करेंगी।
इस अभियान के तहत सबसे पहले 2018 में ओरियन यान का परीक्षण किया जाएगा, जिसके जरिए इंसान को एक बार फिर से चांद की जमीन पर उतारा जाना है। अगले साल होने वाले इस परीक्षण में यान को चांद पर पहुंचाया जाएगा। हालांकि, कोई इंसान इसके अंदर नहीं होगा। इसके बाद 2021 में ओरियन 4 अंतरिक्ष यात्रियों को चांद तक ले जाएगा। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी इस यान का सप्लाई मॉड्यूल तैयार कर रही है। दरअसल अपोलो यान के रिटायर होने के बाद दुनिया में कोई ऐसा यान नहीं है जो इंसान को चांद या मंगल ग्रह पर ले जा सके। अपोलो यान नील आर्मस्ट्रॉन्ग को चांद पर लेकर गया था।
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यह रॉकेट अंतरिक्ष यान को ले जाएगा धरती के पार
नासा के ओरियन यान को 'स्पेस लॉन्च सिस्टम' नाम के रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा। यह रॉकेट ओरियन अंतरिक्ष यान को आसानी से धरती की कक्षा से बाहर ले जाने में सक्षम है। अभी तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक यान भेजने वाले रॉकेट ही बन पाए हैं। नासा के स्पेस एक्सप्लोरेशन के डिप्टी एडमिनिस्ट्रेटर बिल हिल के मुताबिक उनकी टीम इस यान की सफलता के लिए पूरी मेहनत कर रही है।
अपोलो की उपलब्धि रह जाएगी पीछे
नासा का ओरियन यान चांद पर इंसान को पहुंचाने वाले अपोलो यान का रिकॉर्ड तोड़ेगा। 70 मीट्रिक टन वजनी यह यान अपोलो यान से 30 हजार मील अधिक दूर तक जाएगा। यह कुल दो लाख 75 हजार मील की दूरी तय करेगा। जबकि अपोलो यान ने दो लाख 45 हजार मील की दूरी तय की थी। ओरियन यान का मिशन कुल 22 दिनों का होगा। यह मंगल समेत दूसरे छोटे ग्रहों और धूमकेतू पर यात्रियों को ले जाने में भी समर्थ होगा।
ओरियन की खास बात...
ओरियन यान को नासा के वैज्ञानिक दो हिस्सों में तैयार करेंगे। इन दो हिस्सों को एल्युमिनियम के सात अलग-अलग टुकड़ों से बनाया जाएगा। यान के एक हिस्से में इसका तकनीकी सिस्टम होगा और दूसरे हिस्से में अंतरिक्ष यात्रियों के बैठने की जगह होगी। इस यान में दो से छह यात्रियों के बैठने की व्यवस्था है। इन दोनों हिस्सों को एक टनल के जरिए जोड़ा जाएगा, जिसके माध्यम से अंतरिक्ष यात्री विमान के तकनीकी सिस्टम तक आसानी से पहुंच सकें। इस टनल को इमरजेंसी पैराशूट से लैस किया गया है, ताकि ये किसी भी दुर्घटना की स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बेहद मददगार साबित हो सकें।
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