ईरान, अमेरिका के बीच नए सिरे से तनातनी
दोनों देशों ने एक-दूसरे के नागरिकों और कंपनियों पर लगाए प्रतिबंध..
वाशिंगटन, प्रेट्र/रायटर। जुलाई 2015 में वैश्विक शक्तियों से परमाणु करार करने वाले ईरान और अमेरिका के बीच तनातनी बढ़ गई है। दोनों ने एक-दूसरे के नागरिकों और कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। ईरान ने इसकी आलोचना करते हुए कहा है कि प्रतिबंधों से परमाणु समझौता कमजोर होगा। तनाव ऐसे वक्त में बढ़ा है जब शुक्रवार को ईरान में नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे।
अमेरिका ने बुधवार को ईरान के दो वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों और एक ईरानी कंपनी पर प्रतिबंध की घोषणा की। एक चीनी नागरिक और तीन चीनी कंपनियों को भी प्रतिबंध के दायरे में लाया गया है। इन पर ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में मदद का आरोप है। जवाब में गुरुवार को ईरान ने अमेरिका के नौ कंपनियों और नागरिकों पर प्रतिबंध लगा दिए। विदेश मंत्रालय ने कहा कि जो व्यक्ति और कंपनियां प्रतिबंधित की गई हैं वे फलस्तीन में आतंकी हमलों और मानवाधिकारों को उल्लंघन में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल हैं।
ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बहमरा घासेमी ने कहा कि ईरान परमाणु हथियार नहीं चाहता है। उसका मिसाइल कार्यक्रम पूरी तरह से वैध और देश की रक्षा शक्ति बढ़ाने के लिए है। वह अपने मिसाइल कार्यक्रम से पीछे नहीं हटेगा। अपने नागरिक और कंपनियों को प्रतिबंधित करने पर चीन ने भी आपत्ति जताई है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि इस संबंध में अमेरिका के सामने शिकायत दर्ज कराई गई है। इससे पहले कांग्रेस को कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री स्टुअर्ट जोंस ने बताया कि ट्रंप प्रशासन बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम से जुड़े नए प्रतिबंध ईरान पर लागू करता रहेगा। उसके मानवाधिकारों के उल्लंघन की निगरानी भी की जा रही है। उल्लेखनीय है कि चुनाव प्रचार के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हर हाल में ईरान को परमाणु ताकत हासिल करने से रोकने का वादा किया था।
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