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गैस की कीमत बढ़ाने पर अड़ा ईरान

तेल व गैस क्षेत्र में भारत और ईरान के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। ईरान जल्द भारत को भेजे जाने वाले गैस की कीमत तीन गुनी बढ़ाने की तैयारी में है।

By T empEdited By: Published: Mon, 15 May 2017 08:41 PM (IST)Updated: Mon, 15 May 2017 08:41 PM (IST)
गैस की कीमत बढ़ाने पर अड़ा ईरान
गैस की कीमत बढ़ाने पर अड़ा ईरान

जागरण ब्यूरो, नई दिल्लीः ईरान ने भविष्य में भारत को बेचे जाने वाले गैस की कीमत में भी तीन गुना वृद्धि का प्रस्ताव किया है। कुछ समय पहले तक भारत और ईरान के रिश्तों में गर्माहट बढ़ रही थी और इसके लिए तेल व गैस क्षेत्र में बढ़ रहे सहयोग को अहम माना जा रहा था। लेकिन अब हालात बदले नजर आ रहे हैं। तेल व गैस क्षेत्र में दोनों देशों के मतभेद बढ़ते जा रहे हैं।

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तीन गुना वृद्धि का प्रस्ताव

भारत के लिए कच्चे तेल की कीमत बढ़ाने के बाद ईरान ने भविष्य में भारत को बेचे जाने वाले गैस की कीमत में भी तीन गुना वृद्धि का प्रस्ताव किया है। यह गैस भारतीय सरकारी कंपनी ओएनजीसी के ईरान के फरजाना बी गैस ब्लाक से निकाली जानी है। दस वर्ष पहले ईरान ने इस ब्लाक से निकालने जाने वाली गैस को भारत के हाथों 2.3 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू ( ब्रिटिश थर्मल यूनिट - गैस मापने का मापक) की दर से बेचने को तैयार था लेकिन अब इसे सात डॉलर प्रति एमएमबीटीयू से भी ज्यादा करना चाहता है।

ईरान की तरफ से प्रस्ताव आया है कि भारत जिस फार्मूले के तहत कतर से गैस खरीदता है उसी के तहत उससे भी गैस खरीदे। भारत और कतर के बीच लंबी अवधि की गैस खरीदने का करार है। पहले इस भारत कतर से 12-13 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू की दर से गैस खरीदता था लेकिन वर्ष 2015 में नया करार किया गया है जिससे गैस की कीमत अभी तकरीबन सात डॉलर प्रति एमएमबीटीयू होती है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि ईरान का नये प्रस्ताव को कारोबारी हितों को देखते हुए स्वीकार नहीं किया जा सकता।

इसके पीछे वजह यह है कि कतर के गैस फील्ड में भारतीय कंपनियों का कोई निवेश नहीं है। कतर सरकार अपने गैस फील्डों से भारत को गैस दे रही है। जबकि फरजाना बी गैस ब्लाक को ओएनजीसी विदेश लिमिटेड की अगुवाई में सरकारी तेल कंपनियों के कंसोर्टियम ने हासिल किया है। साथ ही ये कंपनियां वहां अरबों डॉलर का निवेश कर रही हैं। हाल ही में इन कंपनियों ने वहां 5.5 अरब डॉलर के नए निवेश का प्रस्ताव ईरान को भेजा है। भारत की तरफ से लगातार दवाब बनाने के बावजूद ईरान ने इसे अभी तक स्वीकार नहीं किया है। उल्टा गैस ब्लाक में छिड़ी जंग की आग कच्चे तेल खरीद से जुड़े समझौते तक पहुंच गई है। पिछले महीने भारत की तरफ से जब यह धमकी दी गई कि वह ईरान से कम तेल खरीदेगा तो ईरान ने उल्टा भारत को तेल खरीद में दिए जाने वाले डिस्काउंट को हटा दिया।

दोस्ती-दुश्मनी की नाव पर डोल रहा ईरान 

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि ईरान की तरफ से हाल के दिनों में कूटनीतिक स्तर पर मिले जुले संकेत मिल रहे हैं। एक तरफ वह पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से परेशान है और पाकिस्तान को धमकी भी दे रहा है लेकिन साथ ही वह चीन पाकिस्तान इकोनोमिक कारीडोर में शामिल होने को इच्छुक भी है। फरजाना बी मामले में ईरान के बदले रुख के पीछे एक शक यह भी है कि वह इस बड़े गैस ब्लाक को अपने रणनीतिक हितों की वजह से चीन या पश्चिमी देशों के किसी कंपनी को देना चाहता है। चीनी, यूरोपीय या अमेरिकी कंपनियों के वहां निवेश करने से ईरान के हित ज्यादा सुरक्षित रहेंगे।


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