रिपोर्ट में दावा, जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं भारतीय
जो कूड़ा जलाया जाता है, उसका ज्यादातर भाग आबादी वाले इलाकों में जलाया जाता है। बहुत से शहरों में कूड़े को एकत्रित करने के लिए कोई तरीके वाली व्यवस्था नहीं है।
वाशिंगटन, प्रेट्र। भारत को लेकर चौंकाने और चिंता में डालने वाली रिपोर्ट आई है। यहां पर सड़क के किनारे कूड़ा जलाए जाने से जो धुंआ पैदा होता है, वह सामान्य हवा को एक हजार गुना तक जहरीला बना देता है। उसमें सांस लेने से तमाम तरह की बीमारियों का अंदेशा बना रहता है। यह बात अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में हर साल करीब दो अरब टन कूड़ा पैदा होता है। इसमें से करीब आधे कूड़े को जलाकर खत्म किया जाता है। जो कूड़ा जलाया जाता है, उसका ज्यादातर भाग आबादी वाले इलाकों में जलाया जाता है। बहुत से शहरों में कूड़े को एकत्रित करने के लिए कोई तरीके वाली व्यवस्था नहीं है। भारत में ऐसे तमाम शहर हैं। इन्हीं शहरों में सड़कों और गलियों के किनारे जहां-तहां कूड़ा पड़ा रहता है और उसे निस्तारण के नाम पर एकत्रित करके जला दिया जाता है।
कूड़े में कई तरह रासायनिक पदार्थ- प्लास्टिक, रबर, कोयले के अधजले टुकड़े आदि होते हैं। इन सबके जलने से जहरीली गैसें पैदा होती हैं जो वातावरण को खराब करती हैं। बेंगलूर जैसे शहरों में हालात कमोबेश यही हैं। ऐसा यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के प्रमुख लेखक हैदी रीलैंड ने लिखा है।
यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकेल बर्जिन के अनुसार अगर कहीं आग लगे कूड़े के ढेर के पास खडे़ होकर सांस ली जाए तो सामान्य हवा से एक हजार गुना ज्यादा जहरीली हवा शरीर में जाएगी। कोई व्यक्ति दिन में सिर्फ एक मिनट के लिए ऐसी हवा में सांस ले ले तो उसके शरीर कई नुकसानदायक तत्व पहुंच जाते हैं। शोधकर्ताओं ने बेंगलूर के शहरी क्षेत्र में 24 स्थानों पर सड़क के किनारे जलाए जा रहे कूड़े के नजदीक से हवा के नमूने लिए और उनका रासायनिक विश्लेषण किया। यह रिपोर्ट एक साइंस जर्नल में प्रकाशित हुई है।
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