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दो साल में भारत को मिलने लगेंगे कोमोव हेलीकॉप्टर

कंपनी भारतीय रक्षा मंत्रालय के एक औपचारिक अनुरोध का इंतजार कर रही है जिसके बाद वह हेलीकॉप्टर निर्माण की प्रक्रिया शुरू करेगी।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Thu, 20 Jul 2017 06:05 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jul 2017 06:05 PM (IST)
दो साल में भारत को मिलने लगेंगे कोमोव हेलीकॉप्टर
दो साल में भारत को मिलने लगेंगे कोमोव हेलीकॉप्टर

झुकोवस्की, प्रेट्र : बहुउद्देशीय कोमोव लड़ाकू हेलीकॉप्टर भारत को दो साल में मिलने शुरू हो जाएंगे। भारत और रूस के बीच 200 हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति का समझौता हुआ है लेकिन यह संख्या ज्यादा भी हो सकती है। यह जानकारी रोस्टेक स्टेट कॉर्पोरेशन के मुख्य कार्यकारी सर्गेई चेमेजोव ने दी है। कोमोव हेलीकॉप्टरों का निर्माण यही रूसी कंपनी करती है। रूस के प्रमुख एयर शो मैक्स 2017 के मौके पर वह संवाददाताओं से बात कर रहे थे।

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चेमेजोव के मुताबिक कंपनी भारतीय रक्षा मंत्रालय के एक औपचारिक अनुरोध का इंतजार कर रही है जिसके बाद वह हेलीकॉप्टर निर्माण की प्रक्रिया शुरू करेगी। अनुरोध प्राप्त होने के दो साल बाद पहली खेप की आपूर्ति हो पाएगी। भारत और रूस के बीच इन हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के सिलसिले में एक अरब डॉलर (6,500 करोड़ रुपये) का समझौता हुआ है।

इस समझौते के तहत 40 हेलीकॉप्टर रूस से तैयार होकर आने हैं जबकि 160 हेलीकॉप्टर मेक इन इंडिया अभियान के तहत भारत में बनेंगे। चेमेजोव के मुताबिक भारत में इनका निर्माण बेंगलुरु स्थित हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के उसी कारखाने में हो सकता है जहां पर एसयू 30 एमकेआइ की असेंबलिंग होती है। समझौते के अनुसार भारत में कोमोव का निर्माण करने वाली कंपनी में भारत की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी और रूस की 49 हिस्सेदारी होगी।

हेलीकॉप्टर तैयार करने के कार्य में कुछ निजी कंपनियों की भी मदद लेनी पड़ सकती है। रोस्टेक इसके लिए तैयार है। कंपनी के हेलीकॉप्टरों की ज्यादातर आपूर्ति दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों, भारत और चीन को होती है। उल्लेखनीय है कि इस समय रूसी लड़ाकू विमान सुखोई 30 एमकेआइ के अतिरिक्त टी-90 टैंक और एस-400 ट्रंफ मिसाइल रोधी सिस्टम के सौदे पर दोनों देशों में काम चल रहा है।

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