संयुक्त राष्ट्र में मॉरीशस के प्रस्ताव पर भारत ने ब्रिटेन के खिलाफ दिया वोट
हिंद महासागर में स्थित इस द्वीपसमूह के डिएगो गार्सिया द्वीप पर अमेरिका-ब्रिटेन का बड़ा संयुक्त सैन्य अड्डा है।
संयुक्त राष्ट्र, प्रेट्र। रणनीतिक रूप से अहम चागोस द्वीपसमूह को लेकर ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच विवाद में अंतरराष्ट्रीय अदालत का मशविरा लेने संबंधी संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव पर भारत ने ब्रिटेन के खिलाफ मत दिया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन का कहना है कि उपनिवेशवाद जैसे अहम मसले पर जारी रुख के चलते ही भारत ने मसौदे का समर्थन और उसके पक्ष में मतदान किया है। हिंद महासागर में स्थित इस द्वीपसमूह के डिएगो गार्सिया द्वीप पर अमेरिका-ब्रिटेन का बड़ा संयुक्त सैन्य अड्डा है।
ब्रिटेन को बड़ा झटका देते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 के मुकाबले 94 मतों से प्रस्ताव पारित कर दिया। मॉरीशस के इस प्रस्ताव के अफ्रीकी देश सह-प्रायोजक थे। इसमें हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत से चागोस द्वीपसमूह की कानूनी स्थिति की पड़ताल करने के लिए कहा गया है। मॉरीशस का कहना है कि यह द्वीपसमूह उनके क्षेत्र का हिस्सा है और ब्रिटेन 1965 से उस पर गैर-कानूनी दावा करता रहा है। बता दें कि 1968 में स्वाधीन करने से पूर्व ब्रिटेन ने चागोस द्वीपसमूह को 1965 में मॉरीशस से अलग कर दिया था।
इस मसले पर मॉरीशस का कहना है चागोस द्वीपसमूह 18वीं सदी से उनके देश का हिस्सा रहा है, तब उनके देश पर फ्रांस का शासन था। वहीं, स्वाभाविक रूप से अमेरिका ने इस प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया। उसका और ब्रिटेन दोनों का कहना है कि यह प्रस्ताव द्विपक्षीय मामलों में अंतरराष्ट्रीय अदालत के न्यायाधिकार के अभाव से लाभ उठाने की कोशिश है। इस प्रस्ताव पर एक पक्ष ने अपनी सहमति भी नहीं दी है। संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन के राजदूत ने कहा कि हमने इस प्रस्ताव पर सहमति नहीं दी है और न देंगे।
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