इजरायल को लेकर भारत की विदेश नीति में बड़ा बदलाव
इजरायल को लेकर भारत की विदेश नीति में एक बड़ा बदलाव आया है। भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में इजरायल के खिलाफ लाए गए एक प्रस्ताव पर पहली बार मतदान से खुद को अलग रखा। 2014 के गाजा संघर्ष में इजरायल द्वारा किए गए युद्ध अपराध को
नई दिल्ली। इजरायल को लेकर भारत की विदेश नीति में एक बड़ा बदलाव आया है। भारत ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में इजरायल के खिलाफ लाए गए एक प्रस्ताव पर पहली बार मतदान से खुद को अलग रखा। 2014 के गाजा संघर्ष में इजरायल द्वारा किए गए युद्ध अपराध को लेकर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के आधार पर यह प्रस्ताव लाया गया था। हालांकि, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने स्पष्ट कर दिया कि फलस्तीन को नई दिल्ली के समर्थन में कोई बदलाव नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि प्रस्ताव में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय का संदर्भ दिए जाने के कारण भारत ने मतदान में भाग नहीं लिया। अतीत में भी जब सीरिया और उत्तर कोरिया पर मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव में अपराध न्यायालय का हवाला दिया गया, तो भारत ने मतदान में भाग नहीं लिया। मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव का 41 देशों ने समर्थन किया और पांच देश मतदान से गैरहाजिर रहे। अमेरिका ने प्रस्ताव का विरोध किया।
इजरायल ने दिया धन्यवाद
मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव पर वोटिंग में भाग नहीं लेने के लिए इजरायल ने भारत को धन्यवाद दिया है। इजरायल के राजदूत डैनियल कारमोन ने ट्वीट किया, 'भारत समेत जिन देशों ने मतदान का बहिष्कार किया हम उनकी सराहना करते हैं। उधर, इजरायली अखबार हारेट्ज ने लिखा कि यह नई दिल्ली के रुख में एक अहम बदलाव है। परंपरागत रूप से भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर इजरायल के खिलाफ सभी प्रस्तावों का समर्थन किया है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से दोनों देशों के गहराते संबंधों का यह एक और उदाहरण है।
जदयू ने की आलोचना
जदयू ने इजरायल मामले में मतदान से भारत के गैरहाजिर रहने पर केंद्र सरकार की आलोचना की है। पार्टी महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि यह देशहित में नहीं है, क्योंकि इससे अरब देशों के साथ हमारे संबंध प्रभावित हो सकते हैं। यह भारत की स्थापित विदेश नीति के भी खिलाफ है और भविष्य में पश्चिम एशिया का कोई भी मुल्क हमारे साथ खड़ा नहीं होगा।