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पोषक देश ही देते हैं आतंकियों को हथियार

इस अपील के जरिये भारत ने पाकिस्तान की तरफ सीधा इशारा किया है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 24 Aug 2016 08:37 PM (IST)Updated: Wed, 24 Aug 2016 08:59 PM (IST)
पोषक देश ही देते हैं आतंकियों को हथियार

संयुक्त राष्ट्र। भारत ने व्यापक संहारक हथियारों को अराजक तत्वों की पहुंच से दूर रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद से मुकाबले में देश की जवाबदेही को कम नहीं करने की अपील की है। इस अपील के जरिये भारत ने पाकिस्तान की तरफ सीधा इशारा किया है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान इस ओर दिलाने का प्रयास किया है कि आतंकवाद के पोषक देश की देखरेख में ही गलत हाथों तक हथियार पहुंच रहे हैं।

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भारत के उपस्थायी प्रतिनिधि तन्मय लाल ने कहा, "आतंकवाद से मुकाबले में देश की जवाबदेही की उपेक्षा नहीं की जाए। अराजक तत्वों के सहायक बने बुनियादी ढांचे को तबाह किया जाए और व्यापक संहारक हथियारों तक उन्हें पहुंचने से रोका जाए।" लाल ने कहा कि तबाही के खतरे से भारत अच्छी तरह अवगत है।

भारत जानता है कि व्यापक संहारक हथियार यदि अराजक तत्वों के हाथ आ जाए तो क्या होगा। सुरक्षा परिषद में विनाशकारी हथियारों के समाधान की चुनौतियां पर मंगलवार को लाल ने खुली बहस में हिस्सा लिया।

उन्होंने कहा, "पर्दे के पीछे चल रहे प्रसार नेटवर्क को निश्चित रूप खदेड़ा जाना चाहिए और ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए जिससे ये दोबारा सिर न उठा सकें। संवेदनशील सामग्री और तकनीक के आतंकवादियों और अराजक तत्वों के हाथों में जाने से संबंधित खतरे को खत्म करने के लिए विश्व समुदाय को एकजुट होना पड़ेगा।"
जैविक हमले, नई तकनीक के खतरे नहीं झेल सकती दुनिया
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने चेतावनी देते हुए कहा है कि आज की दुनिया जैविक हमले के खतरे का सामना करने के लिए तैयार नहीं है। व्यापक तबाही के अप्रत्याशित स्तर को सच बनाने के लिए आतंकवादी 21वीं सदी की तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। आतंकवादियों के इस कदम से उत्पन्न खतरे की चेतावनी इंटरपोल और विशेषज्ञ दे चुके हैं।

संरा महासचिव ने कहा कि इबोला, एमईआरएस और येलो फीवर के प्रकोप को देखते हुए गहरी चिंता हो रही है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय जैविक हमले का उत्तर देने या उसे रोकने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मानव समुदाय पर जैविक हमले का प्रभाव और परिणाम रासायनिक या रेडियो सक्रिय हमले से कहीं ज्यादा घातक होगा।

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