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न्यू हैम्पशायर में चुनाव से पहले घटा हिलेरी का आधार

डेमोक्रेट समर्थकों के बीच हिलेरी क्लिंटन का आधार तेजी से घटता जा रहा है। न्यू हैम्पशायर के प्राइमरी चुनाव में उन्हें जोरदार झटका लग सकता है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 05 Feb 2016 05:37 PM (IST)Updated: Sat, 06 Feb 2016 11:10 AM (IST)
न्यू हैम्पशायर में चुनाव से पहले घटा हिलेरी का आधार

वाशिंगटन । डेमोक्रेट समर्थकों के बीच हिलेरी क्लिंटन का आधार तेजी से घटता जा रहा है। न्यू हैम्पशायर के प्राइमरी चुनाव में उन्हें जोरदार झटका लग सकता है। यहां नौ फरवरी को चुनाव होने हैं। इससे पहले आयोवा में वे किसी तरह अपनी लाज बचाने में सफल रहीं थी। पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवारी हासिल करने की कोशिश में हैं। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नवंबर में होना है।

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ताजा सर्वे में हिलेरी सिर्फ 30 फीसद मतदाताओं का समर्थन हासिल कर पाई हैं। उनके करीबी प्रतिद्वंद्वी बर्नी सैंडर्स को 61 फीसद समर्थन मिला है। प्राइमरी चुनाव के संभावित मतदाताओं के बीच सीएनएन/डब्ल्यूएमयूआर ने यह रायशुमारी कराई है। सर्वे में रिपब्लिकन दावेदारों में अरबपति कारोबारी डोनाल्ड ट्रंप को आगे दिखाया गया है। उन्हें 29 फीसद और फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रुबियो को 18 फीसद मत मिलने की संभावना जताई गई है।

आयोवा में जीत हासिल कर सबको हैरान करने वाले रिपब्लिकन दावेदार टेक्सास के सीनेटर टेड क्रूज को 13 फीसद मतों के साथ तीसरे स्थान पर बताया गया है। ओहियो के गवर्नर जॉन काइश को 12 और फ्लोरिडा के पूर्व गवर्नर जेब बुश को 10 प्रतिशत समर्थन मिलने की संभावना है। आयोवा में एक फरवरी को हुए चुनाव में ट्रंप दूसरे और रुबियो तीसरे स्थान पर रहे थे। वहीं, हिलेरी को सैंडर्स पर सिर्फ आधे फीसद मतों की बढ़त मिल पाई थी। इसके बाद टॉस के जरिये विजेता का फैसला किया गया था, जिसमें हिलेरी को सफलता मिली थी।

जीती तो अफगानिस्तान से होगी सैनिकों की वापसी

न्यू हैम्पशायर में चुनाव से पहले डेमोक्रेटिक दावेदारों की आखिरी बहस गुरुवार को डरहम में हुई। यह हिलेरी क्लिंटन और बर्नी सैंडर्स के बीच पहली आमने-सामने की बहस भी थी। इस दौरान हिलेरी का रुख जहां आक्रामक रहा, वहीं सैंडर्स शांत बने रहे। पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि यदि वे अमेरिकी राष्ट्रपति बनीं तो अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी होगी। वहीं, सैंडर्स ने कहा है कि वे रातोंरात ऐसा कोई फैसला नहीं लेंगे जिससे तालिबान को प्रभाव बढ़ाने का मौका मिले। हालांकि सीरिया और इराक को लेकर दोनों की राय एक जैसी है। दोनों ने वहां सेना नहीं भेजने की बात कही है।


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