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इरान: महिलाओं के ड्रेस कोड के विरोध में #whitewednesdays यूं करता है कैंपेन

इरान में महिला सशक्‍तिकरण के लिए पत्रकार व कार्यकर्ता मसिह अलिनेजाद लगातार कैंपेन कर रही हैं और इसके लिए उन्‍होंने हैशटैग के साथ whitewednesdays कैंपेन भी शुरू किया है।

By Monika minalEdited By: Published: Wed, 28 Jun 2017 12:48 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jun 2017 12:48 PM (IST)
इरान: महिलाओं के ड्रेस कोड के विरोध में #whitewednesdays यूं करता है कैंपेन
इरान: महिलाओं के ड्रेस कोड के विरोध में #whitewednesdays यूं करता है कैंपेन

बेरुत (रायटर्स)। 2009 से निर्वासित पत्रकार व कार्यकर्ता अलिनेजाद इरान की महिलाओं के हक में आवाज उठा रही हैं। उन्‍होंने अपने पेज माई स्‍टील्‍दी फ्रीडम के फेसबुक पेज पर इसके लिए कैंपेन चलाया हुआ है जिसमें महिलाओं को सफेद हिजाब के साथ वीडियोज व फोटोज पोस्‍ट करने को लेकर उत्‍साहित कर रही हैं।

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हिजाब पहनने के आदेश के विरोध में अलिनेजाद ने गत माह महिलाओं को सफेद हिजाब में अपनी तस्‍वीरों व वीडियोज को सोशलमीडिया पर #whitewednesdays के हैशटैग के साथ पोस्‍ट करने को उत्‍साहित किया था। अलिनेजाद ने रायटर्स को फोन पर बताया, ‘मेरा उद्देश्‍य मात्र महिलाओं की सशक्‍तिकरण है। बाकी दुनिया इन महिलाओं की आवाज सुनेंगे तो वे भी उनकी ओर से खड़े हो साथ देंगे।‘

1979 में लागू हुआ ड्रेसकोड

इरान के इस्‍लामिक कानून के तहत 1979 की इस्‍लामिक क्रांति के बाद शिष्‍टता के नाम पर महिलाओं को अपने बालों को ढकने और लंबा ढीला ढाला कपड़ा पहनने के लिए बाध्‍य किया गया। उल्लंघनकर्ताओं के लिए सार्वजनिक तौर पर, जुर्माना या गिरफ्तारी की सजा मुकर्रर की गयी। हालांकि इस मामले में आधिकारिक आंकड़े नहीं जमा किए गए हैं। इरान के कैंपेन ग्रुप ऑफ जस्‍टिस ने 2014 में पता लगाया कि पिछले 10 वर्षों में लाखों महिलाओं ने परहेज किया और 30,000 से अधिक महिलाओं को हिजाब कानून के तहत गिरफ्तार किया गया।

तीन साल पहले हुई शुरुआत

#whitewednesdays कैंपेन ऑनलाइन मूवमेंट है जो अलिनेजाद द्वारा तीन साल पहले शुरू किया गया था। वे पत्रकार हैं और 2009 से निर्वासित तौर पर जीवन गुजार रही हैं। कैंपेन शुरू करने के बाद से उन्‍हें मौत की धमकियां भी मिली हैं। उन्‍होंने सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म और एक वेबसाइट ‘My Stealthy Freedom’ बनाया जहां इरान के ड्रेस कोड के विरोध में बिना हिजाब महिलाओं ने अपनी तस्‍वीरें पोस्‍ट की। 40 वर्षीय कार्यकर्ता अपने ऑनलाइन मूवमेंट के प्रति जागरुकता बढ़ाना चाहती थी ताकि महिलाएं सड़कों पर शांति के प्रतीक सफेद रंग के हिजाब को देख एक दूसरे को पहचान सके।

इरानी महिलाओं की स्‍वतंत्रता है चाहत

अभी न्‍यूयार्क में रहने वाली अलिनेजाद ने बताया, ‘मैं चाहती हूं कि लोग बात करें। मैं चाहती हूं लोगों के पास एक प्‍लेटफार्म हो और साथ में बात करें क्‍येांकि स्‍वतंत्र तौर पर बातचीत की इरानी समाज को जरूरत है।‘ वॉलंटियर्स के कुछ वीडियोज को My Stealthy Freedom के फेसबुक पेज पर सैंकड़ों शेयर मिले हैं जिसके एक मिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं। कुछ इरानी पुरुष भी कैंपेन का हिस्‍सा हैं और अलिनेजाद  ने उन इरानी महिलाओं को भी इनवाइट किया है जो खुशी से हिजाब पहनती हैं। उनका कहना है कि यह कैंपेन हिजाब के विरोध में नहीं बल्‍कि हिजाब पहनने की जबर्दस्‍ती के विरोध में है।

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