पहले रेप कौन करेगा यह निर्णय नहीं हुआ तो कर दी लड़की की हत्या
लंबे समय से गृह युद्ध की आग में जल रहे सूडान में बच्चों की जिंदगी नर्क हो गई है। यूएन की रिपोर्ट के अनुसार यहां एक लड़की की सैनिकों द्वारा सिर्फ इसलिए हत्या कर दी गई की वो यह निर्णय नहीं कर पाए कि उस लड़की के साथ पहले रेप
दक्षिण सुडान। लंबे समय से गृह युद्ध की आग में जल रहे सूडान में बच्चों की जिंदगी नर्क हो गई है। यूएन की रिपोर्ट के अनुसार यहां एक लड़की की सैनिकों द्वारा सिर्फ इसलिए हत्या कर दी गई की वो यह निर्णय नहीं कर पाए कि उस लड़की के साथ पहले रेप कौन करेगा। रिपोर्ट यह भी बताती है कि यहां बच्चों का जीना दूभर हो गया है और युनिटी के उत्तरी राज्य में ही मई में लगभग 129 बच्चों की हत्या कर दी गई।
यूएन की चिल्ड्रन एजेंसी के प्रमुख के अनुसार, जो लोग बच गए वो बताते हैं कि कम उम्र के लड़कों को नपुंसक बनाकर उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया जाता है वहीं 8 वर्ष तक की लड़कियों के साथ गैंगरेप करने के बाद मार दिया जाता है। इसके अलावा कुछ को एक साथ बांधकर उनके गले काट दिए गए जबकि कुछ को जिंदा ही आग में फेंक दिया गया। रिपोर्ट के अनुसार पिछले 18 महिनो के गृह युद्ध में मरने वालों की कुल संख्या तो साफ नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि हजारों लोग अब तक मारे जा चुके हैं।
मालूम हो कि गृह युद्ध की शुरुआत दिसंबर 2013 में तब हुई थी जब राष्ट्रपति साल्वा कीन ने पूर्व डिप्टी मछार पर तख्तापलट की योजना बनाने के अलावा अन्य आरोप लगाए थे। इसे जातीय नरसंहार और बलात्कार बताया जा रहा है। एक अधिकारी के अनुसार, सुडान में बच्चों का नरसंहार एक नए स्तर पर पहुंच चुका है। बच्चों को तेजी से दोनों ही तरफ की सेनाओं में लिया जा रहा है जो कि अलार्मिंग स्तर पर है। माना जा रहा है कि लगभग 13 हजार बच्चों को सेना में भर्ती करवाया गया है।
रिपोर्ट बताती है कि देश के लाखों लोग अकाल से पीड़ित हैं वहीं देश के 12 लाख लोगों में से दो तिहाई को मदद की जरूरत है। जबकि 4.5 लाख लोग भूख से तड़प रहे हैं। इंसानियत के नाम पर मासूमों के खिलाफ अत्याचार को रोका जाना चाहिए। हालांकि, दक्षिण सुडान के मिलिट्री प्रवक्ता कर्नल फिलिप ने यूएन की रिपोर्ट को खारिज किया है और इस पूरे खुलासे में जांच की मांग की है।
सशस्त्र लड़ाई में यूएन की विशेष प्रतिनिधि लीला जीरॉग्वी ने यूएन की सुरक्षा काउंसिल को गुरूवार को बताया कि एक जगह कुछ बच्चे अपने गांव पर हुए हमले से बचकर निकलने में नाकाम रहे तो उन्हें आपस में बांधकर उनके गले काट दिए गए। उन्होंने अंतराष्ट्रीय समुदाय खासतौर पर अफ्रिकन युनियन और सुरक्षा कांउसिल से मांग की की इसे रोका जाए।
[साभार- नई दुनिया]