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जीन में छिपा है जवान दिखने का राज

नीदरलैंड के शोधकर्ताओं ने किसी भी उम्र में सुंदर दिखने केे राज से पर्दा उठाया है। उनका कहना है कि इसके पीछे विशेष जीन जिम्‍मेदार होता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 01 May 2016 04:15 PM (IST)Updated: Sun, 01 May 2016 08:53 PM (IST)
जीन में छिपा है जवान दिखने का राज

नीदरलैंड (प्रेट्र)। सदा जवान दिखने की चाहत हर किसी की होती है। कुछ लोग ज्यादा उम्र होने के बाद भी जवान दिखते हैं तो कुछ कम आयु होने के बावजूद उम्रदराज लगते हैं। नीदरलैंड्स के शोधकर्ताओं ने इसके पीछे छिपे राज का पता लगाने का दावा किया है। उनका कहना है कि इसके लिए एक विशेष जीन जिम्मेदार है। आमतौर पर इसके चलते बालों का रंग लाल और त्वचा पीली हो जाती है।

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शोधकर्ताओं ने बताया कि डीएनए में एमसी-1आर नामक जीन के विशेष प्रकार की उपस्थिति से इंसान वास्तविक उम्र से तकरीबन दो साल ज्यादा बड़ा दिखता है। यह पहला मौका है जब जीन की मदद से जवान और उम्रदराज दिखने पता लगाया गया है। एमसी-1आर को नियंत्रित कर चिर यौवन की कल्पना को साकार किया जा सकता है। पहले के शोध में इसके लिए आनुवांशिक के अलावा पर्यावरण को भी जिम्मेदार माना गया था।

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स्ट्रोक में न्यूरॉन के नष्ट होने का पता चला

वाशिंगटन (आइएएनएस)। वैज्ञानिकों ने सिजोफ्रेनिया, स्ट्रोक और दौरे जैसी बीमारियों में न्यूरॉन के नष्ट होने के कारणों का पता लगाने का दावा किया है। ताज शोध से न्यूरोलोजिकल डिजीज (न्यूरॉन में गड़बड़ी से जुड़ी बीमारियां) से निपटने की संभावना बढ़ गई है। इस तरह की बीमारियों में मस्तिष्क में स्थित न्यूरॉन के चारों ओर अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे वे नष्ट होने लगते हैं। न्यूरॉन की घटती संख्या का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

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अमेरिकी शोधकर्ताओं ने इसके लिए मस्तिष्क में पाए जाने वाले एक विशेष रिसेप्टर की सक्रियता को जिम्मेदार माना है। एनएमडीए (एन-मिथाइल-डी-एस्पैरेट) के विश्लेषण में एन-3-ए रिसेप्टर की गतिविधियों का पता चला है। एनएमडीए रिसेप्टर के उलट एसिडिटी के कारण एन-3-ए रिसेप्टर सक्रिय हो जाता है। इसके कारण न्यूरॉन नष्ट होने लगते हैं। एनएमडीए मस्तिष्क में पाए जाने वाले रिसेप्टर का एक समूह है जो सीखने और स्मरण शक्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस अध्ययन के बाद न्यूरॉन जनित बीमारियों से निपटने के नए रास्ते खुल सकते हैं।

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