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सहायक पायलट ने अवसाद में ले ली 149 की जान

149 लोगों को साथ लेकर मरने वाला जर्मनविंग्स विमान का 28 वर्षीय सहायक पायलट एंड्रियाज लुब्टिज मानिसक रूप से बीमार व गंभीर अवसाद का शिकार था। उसका छह साल से इलाज चल रहा था और यह बात उसने अपने सहकर्मियों व कंपनी से छिपाकर रखी थी। लुब्टिज के फ्लैट से

By Sachin kEdited By: Published: Fri, 27 Mar 2015 07:11 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2015 03:23 AM (IST)
सहायक पायलट ने अवसाद में ले ली 149 की जान

बर्लिन। 149 लोगों को साथ लेकर मरने वाला जर्मनविंग्स विमान का 28 वर्षीय सहायक पायलट एंड्रियाज लुब्टिज मानिसक रूप से बीमार व गंभीर अवसाद का शिकार था। उसका छह साल से इलाज चल रहा था और यह बात उसने अपने सहकर्मियों व कंपनी से छिपाकर रखी थी। लुब्टिज के फ्लैट से मिले कागजात के आधार पर जर्मनी के अभियोजकों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

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जर्मन शहर डुसेलडॉर्फ स्थित लुब्टिज के फ्लैट की गुरुवार को तलाशी ली गई थी। अभियोजकों ने बताया कि उसके घर से जो कागज मिले हैं उससे साफ है कि उसका इलाज चल रहा था और वह काम करने की स्थिति में नहीं था। जर्मन दैनिक बिल्ड के अनुसार 2009 में उसने एयरबस पायलट का प्रशिक्षण बीच में ही छोड़कर मनोवैज्ञानिक की मदद ली थी।

ब्रेकअप से था परेशान

लुब्टिज व्यक्तिगत समस्याओं से भी जूझ रहा था। मीडिया की खबरों के मुताबिक, हाल ही में गर्लफ्रेंड के साथ उसका रिश्ता खत्म हुआ था।

14 साल में पहली उड़ान

लुब्टिज की बचपन से ही पायलट बनने की ख्वाहिश थी। इसके लिए उसने बहुत कम उम्र में ही कोशिशें भी शुरू कर दी थी। महज 14 साल की उम्र में एक हल्के विमान का सहायक पायलट बनने का गौरव हासिल किया था।

ऐसा तो न था

लुब्टिज पश्चिमी जर्मनी के मोंटाबाउर कस्बे का रहने वाला था। इस इलाके के लोगों का कहना है कि वह नम्र व शांत किस्म का इंसान था। उसे जानने वाले लोगों को यकीन ही नहीं हो रहा कि वह जान-बूझकर विमान को नीचे गिरा सकता है।

अनसुलझे सवाल

इन खुलासों के बाद सवाल यह उठने लगा है कि लुब्टिज को आखिर नौकरी कैसे मिली? विमान उड़ाने के लिए आवश्यक मनोवैज्ञानिक जांच की प्रक्रिया में वह कैसे पास हो गया? नियमों के अनुसार, पायलटों की मानसिक स्थिति की हर 6 महीने पर या साल में कम से कम एक बार जांच जरूरी है। हालांकि जर्मनविंग्स का संचालन करने वाली कंपनी लुफ्थांसा का कहना है कि लुब्टिज अवसाद से उबर चुका था और सौ फीसद फिट था।

लाशों की पहचान मुश्किल

अधिकारियों ने बताया कि लाशों की पहचान में मुश्किल आ रही है। इसके कारण घटनास्थल आल्प्स की पहाडि़यों के पास ही एक अस्थायी प्रयोगशाला बनाई गई है। विशेषज्ञ डीएनए सैंपल इकट्ठा कर लाशों की पहचान की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी ओर, लगातार चौथे दिन शुक्रवार को भी विमान के डाटा रिकॉर्डर की तलाश जारी रही। अधिकारियों ने बताया कि घटनास्थल पर अब ज्यादा मलबा नहीं बचा है। ऐसे में अब पूरा ध्यान डाटा रिकॉर्डर की बरामदगी पर केंद्रित कर दिया गया है।

कॉकपिट में दो की मौजूदगी जरूरी

इस हादसे के बाद यूरोप की प्रमुख बजट एयरलाइंस कंपनियों नॉर्वेजियन एयर शटल, इजीजेट, एयर कनाडा, एयर बर्लिन ने हवा में उड़ान भरते समय कॉकपिट में कम से कम दो सदस्यों के मौजूद रहने को अनिवार्य कर दिया है। जर्मन उड्डयन संघ ने भी इस नियम को लागू करने की घोषणा की है। लुफ्थांसा जैसी कुछ कंपनियों का कहना है कि वे भी जल्द से जल्द इस नियम को लागू करने की योजना बना रहे हैं। कॉकपिट में दो सदस्यों की अनिवार्यता का नियम अमेरिका में पहले से ही लागू है।

क्या है मामला

मंगलवार को जर्मनविंग्स का विमान फ्रांस में आल्प्स की पहाड़ियों में हादसे का शिकार हो गया था। विमान में सवार सभी 150 लोगों की मौत हो गई थी। विमान के वॉयस रिकॉर्डर की जांच से पता चला कि हादसे से पहले मुख्य पायलट कॉकपिट के बाहर था। सहायक पायलट लुब्टिज ने बार-बार दरवाजा खटखटाने के बावजूद कॉकपिट नहीं खोला और उसने 'जानबूझकर' विमान को पहाड़ियों में गिरा दिया। इस दौरान कॉकपिट में बिल्कुल सन्नाटा था और बाहर यात्री चीख रहे थे।

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