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    पूर्व पाकिस्तानी विदेशमंत्री हिना रब्बानी बोलीं, बंद करो आतंकियों का संरक्षण

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Thu, 20 Oct 2016 12:19 PM (IST)

    हिना रब्बानी के अनुसार न तो विदेशों में बैठे पाकिस्तान के राजदूत नकारा हैं और न ही पाक विदेश विभाग कमजोर है।

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    नई दिल्ली, [नीलू रंजन]। दुनिया में अलग-थलग पड़ते देख आतंकियों को सरकारी संरक्षण के खिलाफ पाकिस्तान के भीतर धीरे-धीरे आवाज बुलंद होने लगी है। आतंकवाद को संरक्षण के खिलाफ कुछ सांसदों और मीडिया समूहों की आवाज को पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने भी बुलंद कर दिया है। रब्बानी ने पाकिस्तानी सेना पर आतंकवादियों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए इस पर तत्काल लगाम लगाने की जरूरत बताई है।

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    एक पाकिस्तानी चैनल के सवालों का जवाब देते हुए पूर्व विदेशमंत्री हिना रब्बानी खान ने कहा कि किसी भी देश के अंदरूनी और पड़ोसियों के साथ संबंधों के मद्देनजर देंखे तो हम आत्मघात की तरफ बढ़ रहे हैं। उनके अनुसार पाकिस्तान को दुनिया में तन्हा करने की अकेले भारत की कोशिशों से कुछ नहीं होता। पर इसमें हमारे दूसरे पड़ोसी अफगानिस्तान का समर्थन मिलना चाहिए था। यदि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी कह देते कि पाकिस्तान आतंकवाद से लड़ने में हमारी मदद कर रहा है, तो भारत अपनी कोशिशों में कभी कामयाब नहीं हो पाता है। लेकिन समस्या यह है कि हमारे दोनों पड़ोसी एक ही बात कह रहे हैं।

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    हिना रब्बानी के अनुसार न तो विदेशों में बैठे पाकिस्तान के राजदूत नकारा हैं और न ही पाक विदेश विभाग कमजोर है। लेकिन हमारे राजदूत जो दुनिया के सामने बोलते हैं, वह पाकिस्तान के भीतर धरती पर होता नजर नहीं आता है। अब केवल शब्दों से नहीं, बल्कि जमीनी कार्रवाई से साबित करना होगा कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि दुनिया जिन संगठनों पर सवाल उठा रही है, वे हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए भी बड़ी समस्या बन गए हैं। लेकिन इन आतंकी संगठनों से निजात पाने के बजाय हमारी सरकार उनका प्रवक्ता बन जाती है। इससे पाकिस्तान सरकार की साख खतरे में पड़ गई है और कोई भी देश उस पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं है।

    हिना रब्बानी खार ने साफ-साफ चेतावनी दी है कि पाकिस्तान को आतंकवादियों को संरक्षण देने की अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए। यदि हम अपनी गलती स्वीकार नहीं करेंगे, तो फिर उसे दुरूस्त भी नहीं करेंगे। उनके अनुसार राजनीतिक दल हमेशा से आतंकियों को पालने का विरोध करती रही है। वहीं सैन्य शासकों ने हमेशा उनको संरक्षण दिया है। मुशर्रफ के शासन काल की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि इस दौरान पाकिस्तान को आतंकवाद पर दोहरे मापदंड का तमगा हासिल हो गया।

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