देवदूत बन सामने आए पूर्व भारतीय सैनिक
भूकंप की त्रासदी से जूझ रही नेपाली जनता के लिए भूतपूर्व भारतीय गोरखा सैनिक किसी देवदूत से कम नहीं हैं। शनिवार को आए भूकंप के बाद ही ये रणबांकुरे मदद के लिए प्रभावित क्षेत्रों में निकल पड़े। घायलों को अस्पताल पहुंचाने के साथ ही ये लोग अन्य मदद भी कर
जागरण संवाददता, गोरखा, (नेपाल)। भूकंप की त्रासदी से जूझ रही नेपाली जनता के लिए भूतपूर्व भारतीय गोरखा सैनिक किसी देवदूत से कम नहीं हैं। शनिवार को आए भूकंप के बाद ही ये रणबांकुरे मदद के लिए प्रभावित क्षेत्रों में निकल पड़े।
घायलों को अस्पताल पहुंचाने के साथ ही ये लोग अन्य मदद भी कर रहे हैं। वे अब उन सुदूर ग्रामीण अंचलों में भी पहुंच रहे हैं जहां अब तक सरकारी मदद नहीं पहुंच सकी है। गोरखा सहित कई स्थानों पर उन्होंने राहत कैंप खोला है, जहां भूकंप पीडि़तों के खाने-पीने व रहने की व्यवस्था की गई है।
भारत के गोरखा रेजीमेंट से सेवानिवृत्त लगभग आठ हजार सैनिक गोरखा जिले में रहते हैं। उन्होंने गोरखा भारतीय पूर्व सैनिक परिषद का गठन कर रखा है। भूकंप आने के साथ ही इस संगठन के सदस्य सक्रिय हो गए। परिषद के अध्यक्ष तेज बहादुर, कोषाध्यक्ष गिर बहादुर राणा व सचिव कृष्ण बहादुर के आदेश पर संघ के लोगों द्वारा जिला मुख्यालय पर स्थित संगठन के भवन पर चार सौ लोगों के रहने व खाने की व्यवस्था की गई।
जिला अस्पताल में भी उनके संगठन ने टेंट लगाया है। विद्युत सप्लाई बहाल करने के लिए पूर्व सैनिक स्वयं टूटे तारों व पोलों की मरम्मत कर रहे हैं। मंगलवार को जब राहत व बचाव दल के सदस्य गांवों में नहीं पहुंचे तो पूर्व सैनिकों ने गांव में भी जाने का निर्णय लिया। परिषद के अध्यक्ष तेज बहादुर गुरूंग ने बताया कि पूर्व सैनिक गांवों में जाकर आपदा ग्रस्त लोगों को सहायता मुहैया कराएंगे।
भारतीय सेना द्वारा भी हेलीकाप्टर द्वारा जिन स्थानों पर राहत सामग्री उपलब्ध करायी जा रही है उसकी पूरी जानकारी पूर्व सैनिकों को रहती है। अध्यक्ष तेज बहादुर बताते हैं कि हमारा संपर्क भारत में स्थित पूर्व सैनिकों से बना हुआ है। गोरखपुर के कूड़ाघाट स्थित जीआरडी के उच्चाधिकारी भी पूर्व सैनिकों से संपर्क बनाए हुए हैं।
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