नेपाल में आया तबाही का भूकंप, 1500 से अधिक की मौत, हजारों घायल
हिमालय की गोद में बसे नेपाल में शनिवार को शक्तिशाली भूकंप के झटकों ने बर्बादी की नई इबारत लिख दी। हर ओर तबाही का मंजर, हर चेहरे पर दहशत, आंखों में आंसू और आसमान में मलबे का गुबार है। 7.9 की तीव्रता वाले भूकंप से 1500 की मौत हो गई
काठमांडू। हिमालय की गोद में बसे नेपाल में शनिवार को शक्तिशाली भूकंप के झटकों ने बर्बादी की नई इबारत लिख दी। हर ओर तबाही का मंजर, हर चेहरे पर दहशत, आंखों में आंसू और आसमान में मलबे का गुबार है। 7.9 की तीव्रता वाले भूकंप से 1500 की मौत हो गई है। मृतकों का आंकड़ा हर बीतते पल के साथ बढ़ रहा है। देश में आपातकाल लगा दिया गया है। हजारों घायल, सैकड़ों लापता कई हजार लोग घायल हुए हैं। सैकड़ों लापता हैं। अस्पतालों में जगह नहीं होने के कारण सड़कों पर घायलों का इलाज किया जा रहा है। सबसे ज्यादा 750 लोग काठमांडू घाटी में मारे गए हैं। इसके अलावा सिंधु में 250, भक्तपुर में 150, ललितपुर में 67, धादिंग में 37, पूर्वोतर नेपाल में 20, पश्चिमी नेपाल में 33 लोगों के मरने की खबर है।
धरहारा टावर भी हुआ जमींदोज
भूकंप से कई इमारतें भी जमींदोज हो गईं है। नेपाल का कुतुब मिनार कहा जाने वाला धरहारा टावर या भीमसेन टावर भी इसमें शामिल है। अभी तक इस टावर के मलबे से 180 शव निकाले जा चुके हैं।
नेपाल में आई भीषण तबाही से यहां लोगों की मौत की संख्या बढ़ती ही जा रही है। अभी भी कई लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही है। राहत व बचाव का कार्य जारी है। इस बीच यहां तबाही को देखते हुए भारत के प्रधानमंत्री ने नेपाल के प्रधानमंत्री से बात की और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।
भारत ने नेपाल के लिए हरक्यूलस सी130जे विमान से राहत सामग्री तथा एनडीआरएफ की कई टीमों को भेज दिया है। इसके अतिरिक्त एयरफोर्स की रैपिड एक्शन मेडिकल टीम को आधुनिक विमान ग्लोबमास्टर सी-17को भी रवाना किया गया है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि भारतीय वायुसेना ने काठमांडू से 250 लोगों को बाहर निकाल लिया है। उन्होंने कहा है कि वहां फंसे लोग भारतीय मिशन के संपर्क में रहें।
भारतीय दूतावास को भी नुकसान
हिमालय की गोद में फैले नेपाल में आई भीषण तबाही से काठमांडू में भारी तबाही मची है। यहां कई इमारतें जमींदोज हो गई। भारतीय दूतावास भी इस भीषण तबाही की चपेत में आ गया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारतीय दूतावास के नुकसान की खबर ट्वीट पर पोस्ट की है। इसके अलावा भारतीय दूतावास में ही काम करने वाले एक कर्मचारी मदन की बेटी भी भूकंप में मारी गई है, जबकि उसकी पत्नी की हालत गंभीर बनी हुई है।
नेपाल में भारतीय दूतावास के हेल्पलाइन नंबर
+977 9851107021, 9851135141
देखें तस्वीरें : नेपाल में तबाही का मंजर
ढहा भीमसेन टावर :
भूकंप के झटके दो मिनट से अधक समय तक महसूस किया गए। पूरे नेपाल में मोबाइल सेवा बाधित हो गई है। धीरे धीरे जानमाल के नुकसान की खबर मिल रही है। पहला झटका सुबह करीब 11 बजकर 40 मिनट पर आया जबकि दूसरा दोपहर 12 : 17 बजे भूकंप का झटका फिर से महसूस किया गया।
माउंट एवरेस्ट पर 18 लोगों की मौत
भूकंप के बाद हिमालय के माउंट स्वरेस्ट पर भी हिमस्खलन हुआ है, जिससे 18 लोगों की मौत हो गई है। इसमें बेस कैंप एक और दो के पर्वतारोही बताए जा रहे हैं। ।
भूकंप के कारण काठमांडू जाने वाली कई फ्लाइट्स के रूट में बदलाव किया गया है। काठमांडू जाने वाली कई फ्लाइट्स को भारत की तरफ डायवर्ट किया गया है।
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने दिल्ली में आपातकालीन कंट्रोल रूम की स्थापना की है। यहां से 24 घंटे भूकंप पीड़ितों के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है।
कंट्रोल रूम फोन न: - 011-2301 2113 / 2301 4104/ 2301 7905
फैक्स नं:- 23018158
भूकंप में घायल लोग :
रिक्टर स्केल को ऐसे समझाइए
रिक्टर - स्केल असर
0 से 1.9 - सिर्फ सीज्मोग्राफ से ही पता चलता है।
2 से 2.9 - हल्का कंपन।
3 से 3.9 - कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर।
4 से 4.9 - खिड़कियां टूट सकती हैं। दीवारों पर टंगी फ्रेम गिर सकती हैं।
5 से 5.9 - फर्नीचर हिल सकता है।
6 से 6.9 - इमारतों की नींव दरक सकती है। ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है।
7 से 7.9 - इमारतें गिर जाती हैं। जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं।
8 से 8.9 - इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं।
9 और उससे ज्यादा - पूरी तबाही। कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी। समंदर नजदीक हो तो सुनामी।
* भूकंप में रिक्टर पैमाने का हर स्केल पिछले स्केल के मुकाबले 10 गुना ज्यादा ताकतवर होता है।
81 साल बाद आया इतना बड़ा भूकंप
नेपाल में इससे पहले इतना भीषण भूकंप 1934 में आया था। इस दौरान यहां करीब आठ हजार लोगों की मौत हो गई थी। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 8.4 था। दरअसल हिमालय की गोद में समाया पूरा नेपाल भूकंप के फॉल्ट जोन इलाके में पड़ता है। नेपाल के बीच में से महेंद्र हाईवे फॉल्ट लाइन गुजरती है। यह तराई इलाकों और पहाड़ी इलाकों से हो कर गुजरती है। इसी फॉल्ट लाइन के कारण शिलॉन्ग में भी 1897 में 8.5 तीव्रता वाला भूकंप आ चुका है। यह फॉल्ट लाइन उत्तराखंड से आगे दिल्ली तक जाती है। यही वजह है कि नेपाल में भूकंप का केंद्र होने के बाद भी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर भारत में भी झटके महसूस किए गए।