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तीन दशक बाद भी डीएनए पर बना रहता है धूमपान का असर

धूमपान छोड़ने के बाद भी डीएनए पर इसका असर तीन दशकों से भी ज्यादा समय तक रहता है। ऐसे लोगों में कैंसर और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा 30 वर्षो तक बना रहता है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Thu, 22 Sep 2016 04:38 PM (IST)Updated: Thu, 22 Sep 2016 06:17 PM (IST)
तीन दशक बाद भी डीएनए पर बना रहता है धूमपान का असर

न्यूयॉर्क, आइएएनएस। धूमपान को लेकर अमेरिकी शोधकर्ताओं के ताजा शोध में दिलचस्प तथ्य सामने आए हैं। धूमपान छोड़ने के बाद भी डीएनए पर इसका असर तीन दशकों से भी ज्यादा समय तक रहता है। ऐसे लोगों में कैंसर और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा 30 वर्षो तक बना रहता है।

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हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिक यह खतरनाक तथ्य सामने लाए हैं। उन्होंने बताया कि धूमपान छोड़ने के वर्षो बाद भी डीएनए (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) मिथाइलेशन की प्रक्रिया को यह प्रभावित करता रहता है। इस प्रक्रिया के तहत सेल्स जीन की गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं।

इसके बाधित होने के कारण कई तरह की गड़बडि़यां सामने आती हैं। मिथाइलेशन के चलते ही जीन सक्रिय होते हैं। हालांकि, विशेषज्ञों ने बताया कि आमतौर पर धूमपान छोड़ने के पांच वर्षो के अंदर डीएनए मिथाइलेशन की प्रक्रिया सामान्य हो जाती है, लेकिन कुछ मामलों में इसे सामान्य अवस्था में आने में 30 वर्ष से भी ज्यादा का समय लग जाता है।

यही वजह है कि धूमपान छोड़ने के कई साल बाद भी कैंसर, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मनेरी डिजीज और स्ट्रोक जैसी प्राणघातक बीमारियों का खतरा बना रहता है। मालूम हो कि दुनिया भर में करोड़ों लोग धूमपान करते हैं। इनमें से लाखों लोग घातक बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।

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